चीखें

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rajlaxmi

माँ मुझे चीखें सुनाई आ रही है। कौन रो रहा है , क्यों रो रहा है?
अभी तुम छोटी हो फिर भी समझने की कोशिश करो हमारे बहुत सारे सैनिक मर गए हैं।
मेरी बेटी अंधी थी उसे कुछ दिखता नहीं था। मात्र आठ साल की है। ब्रेल लिपि पढती है।
माँ कब कैसे?
अरे उन नामर्दों ने हमारे सैनिकों पर हमला कर दिया है।
माँ मुझे खौफ हो रहा है यह रुदन सुनकर।
वह मेरी गोद में दुबक गई थी।
कितनी बार बोलती हूँ टी.वी की आवाज कम कर दो पर मानते ही नहीं हो देखो रोशनी दोनों कानों को बन्द करके सोई है।
वो अंधी है पर उसे यह जानना होगा कि देश में अभी क्या हो रहा है।
पुलवामा में जो सैनिक शहीद हुए वो भी किसी के बेटे, भाई और पति थे। शहादत क्या होती है इसे जानना समझना होगा।
आप इस छोटी सी नन्ही सी जान से क्या चाहते हैं।
यही कि ये चीखें इसके जेहन में गहरे तक उतर जाए और आगे जाकर ये इतनी मजबूत बने कि इसे हर दर्द बौना लगे।
हम इसके साथ हमेशा नहीं रहेंगे। इसे पढना होगा। अपने आप संभलना होगा। देश से प्रेम करना होगा।
पर ये चीखें।
अपनों से बिछुडने पर तकलीफ होती है किरण।
जब मुझे पता चला था रोशनी देख नहीं सकती तब कितनी तकलीफ हुई थी मुझे। बहुत दर्द था मुझे।
पर आज जिन्होंने अपने बेटे खोये कितना चीख रहे हैं
पर किसको तकलीफ़ है लोग वैसे ही तो सब काम कर रहे हैं।
नहीं अंदर कहीं न कहीं ज्वाला मुखी धधक रहा है। और भी चीखें सुनाई आ रही है मुझे।

#डॉ.राजलक्ष्मी शिवहरे
जीवन परिचय
*-डॉ.राजलक्ष्मी शिवहरे*
माताश्री–स्व.श्रीमती चन्द्रकला गुप्ता।
पिताश्री–स्व. श्री शशि कुमार गुप्ता।
पता-जबलपुर(मध्यप्रदेश)
पति—डा. आर.एल. शिवहरे
प्राध्यापक. (सेवा निवृत)
शास. इंजीनियरिंग महाविद्यालय।
शिक्षा—-बी.ए.1972
एम. ए. हिन्दी
पीएच.डी . सागर
हिंदी साहित्य
छायावादी काव्य के लक्षण।

सम्मान—अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
प्रकाशित रचनाएँ—-
— आठ उपन्यास प्रकाशित।
—– सरिता. मुक्ता. चम्पक मे कहानियों का प्रकाशन।

आकाशवाणी से कहानियों का प्रसारण।

पुरस्कृत साहित्य
————————–
1-उत्सर्ग–कहानी संकलन पुरस्कृत।
होशंगाबाद की संस्था नर्मदापुरम से।
2–काव्य संकलन–मणि दीप प्रकाशित।
3– रहस्यमयी गुफा–पुरस्कृत
लेखिका संंघ भ़ोपाल से।
सम्प्रति –वर्तमान मे सदस्य हिन्दी सलाहकार समिति वाणिज्य एवम् उद्योग मंत्रालय,भारत सरकार।

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मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।