ज़िन्दगी की सीख

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anupa harbola
“मम्मा! नाना जी का कॉल आया था,” वॉकिंग से लौटी गीता से घर में घुसते ही तनुज ने कहा।
“क्या कह रहे थे नानाजी?”
“मेरे फोन उठाने तक तो कट गया, मुझे पासवर्ड नहीं पता तो कॉल बैक भी नहीं कर पाया,” फोन में पासवर्ड डालने की भड़ास को ज़ाहिर करते हुए तनुज ने उत्तर दिया।
“हैलो पापा! कैसे हैं? आपने कॉल किया था ?
”  सब ठीक है, आज और कल तेरा फोन नहीं आया तो याद आ रही थी तेरी, इसलिए फोन किया” पापा ने लाड जताते हुए कहा।
” अरे!पापा फाइनल एग्जाम के चक्कर में स्कूल में व्यस्त थी थोड़ा, इसलिए कॉल नहीं कर पाई, सब ठीक हैं ना घर में?”
“सब ठीक हैं यहाँ , तनुज और दामाद जी मजे में होंगे ? तेरे ससुराल के क्या हाल चाल,  सब ठीक होंगे वहाँ? फोन-फान  तो करती होगी तू सास ससुर को…?
“ठीक ही होंगे,  ये करते हैं फोन वहाँ, मैं नहीं करती फोन उनको..।”
“वृद्ध लोग हैं वो, दूसरे तीसरे दिन हाल चाल पूछ लिया कर ,  अच्छा लगेगा उनको भी और तुझे भी”।
” अच्छा नहीं बुरा ही लगेगा उनको फोन करके, उनको फोन करके अपनी इंसल्ट  थोड़े ना करवानी है मैंने, ना बाबा ना। हमेशा उल्टा-उल्टा बोलते हैं वे लोग हमेशा”।
“उल्टा उल्टा मतलब?”
“मतलब आप जानते हो पापा…।”
“कोई बात नहीं बेटा, उनकी उल्टी बातों का तू सीधा मतलब निकाल लिया कर…।बुजुर्गो की बातें, बातें नहीं बल्कि  अनुभव और ज़िन्दगी की सीख है जो कुछ न कुछ सिखाते ही हैं।  घर के बुजुर्ग वो पके पात और वो टहनियाँ  हैं जो गिरने से पहले आस पास की कोमल पत्तियों को अपनी चर्र- चर्र  आवाज से हवा की गति और रुख बतलाते हैं, ताकि नई पौंध गर्म सर्द मौसम को झेल सके…।
#अनूपा हरबोला
असम

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।