जो सियासत के सांचे में ढल गया, हाँ, वही तो इस दौर में चल गया। यहां उसूलों की बात सुनता कौन है, शख्स जी हुजूरी वाला पल गया। ये कलम,तक़रीरें भी ख़ौफ़ज़दा हैं, जाने कौन कब जहां से टल गया। मासूम भी हो रहे हैं हवस के शिकार, अब नैतिकता […]

बच्चे ही इस दुनिया में,हैं ईश्वर का रुप, लालन-पालन प्रेम से,दें हम नेक स्वरुप। दें हम नेक स्वरूप,हैं वह भावी नागरिक, हों बच्चे मजबूत,हों तब ही सक्षम सामरिक। कहते कवि ‘संतोष’,होते ये दिल के सच्चे, सुंदर-सी मुस्कान,होते हैं निश्छल बच्चे॥                     […]

जो सियासत के सांचे में ढल गया, हाँ , वही तो इस दौर में चल गया। यहां उसूलों की बात सुनता कौन है, शख्स जी हुजूरी वाला पल गया। ये कलम,तक़रीरें भी ख़ौफ़ज़दा है, जाने कौन कब जहां से टल गया। मासूम भी हो रहे हैं हवस के शिकार, अब […]

माना गुस्ताखियाँ बहुत हुईं मुझसे, कहीं  दिल आपका दुखा तो नहीं। हमने बिछाए फूल आपकी राहों में, बताएं  कोई काँटा लगा तो नहीं। उनको ढूंढते ज़माना है गुजरा, हमनवां कोई अभी मिला तो नहीं। बड़ी संग-दिल खुदगर्ज़ है दुनिया, कोई हमदर्द हमें दिखा तो नहीं। तक़दीर पर जब किया यकीं […]

कहते हैं कहने दो हम नादान थोड़ी हैं, हम वतनपरस्त हैं कोई बेईमान थोड़ी है। जब दिल चाहेगा हमें खरीद लोगे क्या, ये हमारा दिल है कोई सामान थोड़ी है। लगती है आग तो बनते हैं तमाशाई, ये लोग बड़े हैवान हैं इंसान थोड़ी हैं। मैं जानता हूँ उसकी फितरत […]

अदा से,इनायत से,बनावट से डरता हूँ। मुझे मुहब्बत है,मैं अदावत से डरता हूँ॥ दिल में कुछ व जुबां पर कुछ और हो। मैं अब ऐसी झूठी दिखावट से डरता हूँ॥ गुलशन का एक महकता फूल हूँ मैं। मौसम की तेज गर्माहट से डरता हूँ॥ मुझे भंवरों की सनक मालूम है […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।