कभी न कभी तो निकल आयेगा हल। ये जो आफते आ रही है  मुस्लसल।। न खटखटा कोई दर,न देख कोई राह उसके दरबार  ,बस तू   नंगे  पाँव चल ।। बीत गया गर आज अच्छा तेरा वक्त ठहर न पायेगा ,ये जो बुरा है पल।। कोशिश तू कर,न बैठ वादो पे […]

लूट के ले गया वो ही शख्स मेरा कारवाँ। शख्स वो जो कभी, रहा था मेरा हमनवाँ। चुप रहने की मुझे तालीम अब देता है  वो शख्स वो जो कभी, रहा था मेरा हमजुबाँ। नवाजिशे,भूलने की इनायत कर रहा है अब शख्स वो जो कभी ,रहा था मेरा मेहरबाँ। अपने  […]

अब कोई और वादा ऐ वफा न करो। जिंदगी को मेरी तुम सज़ा न करो।            हिज्र ऐ ग़म में तस्कीन है मुझको।            फिर से तुम वस्ल की दुआ न करो। अच्छी गुज़र रही है तन्हाई में मेरी जिन्दगी किसी को […]

चुप रहने से कहाँ कोई मसला सुलझता है। बोल दो गलत बोल दो और ये उलझता है। चंद लोग ही  हैं जो ख़ामोशी को पढ़ते है वर्ना हर कोई आपको कायर ही समझता है। एहसास तो दब कर रह गये किसी कोने में बच्चा बच्चा अब हर बात पे  उलझता […]

कैसे कैसे मोहब्बत में हैं मुकाम आये। जिस राह से चले ,तेरे दरो बाम आये। इशक के मरहलों की बात न तू पूछ मंज़िल पा कर भी ,हम नाकाम आये। सिलसिले कुछ इस तरह तोङे उसने लब पे बददुआ  है सुबहो शाम आये। हसरत सी अभी भी पलती है सीने […]

ऐसे उकेरे हैं मेरे ज़ेहन में अपने नक्शे कदम।  नाम न ले गर साँस तेरा,तो मेरा घुटता है दम। यूं तो जिंदगी में अब,तेरा साया भी कहीं नही तुम यही मेरे पास है ,कैसा ये मेरा  है  भ्रम। फेर ली जिसने नज़रे आज  सरे राह देख कर, कहते थे लोगो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।