साथ तुम्हारा पाकर जीवन की सैर करने चला था, थी साथ तुम तो , तूफाँ भी मुझसे डरा था। चपल चतुर खिव्वैया बन जीवन की नैय्या को, संचालित करती रही चप्पू उनके उनके हाथ देख था बेखबर मैं, नैय्या तूफानों से लड़ती रही, देख सेवा,कर्मठता,जीवटता इनकी, तूफाँ भी शांत हो […]

संघर्ष करता,जूझता परिवार मार्कण्डेय गोत्रीय। जीवन को गति प्रदान करने के लिए मास्टरी कर सुकून महसूस कर रहा था। परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गई थी,क्योंकि चन्द्रशेखर जी के यहाँ दमयंती ने जन्म लिया था। संघर्षरत परिवार दमयंती के आने से प्रसन्न हो गया। कन्या जल्द ही बड़ी होती […]

बादलों से उनका लगाव था, दामिनी के प्रति उनका झुकाव था, भ्रामरी से वे बातें करती थी, कोयलिया-सी कूक उत्साह भरती थी, तितलियां भी मदमस्त हो उड़ती थी, पास आकर उनके उनसे जुड़ती थी, अचानक , बादलों का मृदंग बजाना बन्द हो गया, दामिनी का कड़कना मन्द हो गया, भ्रामरी […]

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बारात बिदा की व दमयन्ती अपने नए घर यानि ससुराल में प्रविष्ट हुई,जहाँ सभी ने उत्साह से स्वागत किया। दमयंती को दूसरे दिन ही देवरानी मिल गई,यानि दोनों शादियां एक साथ हुई थी।    समय का चक्र चलता रहा। दमयंती के आने के बाद से ही सत्यव्रत को एक के […]

हाथ पकड़ कर थाम के दामन, मुझको पार लगा दिया.. प्यार-व्यार क्या जानूं मैं मुझको प्यार सिखा दिया। कितने रिश्ते आए, किसी को न भाया.. वजह केवल इतनी-सी थी दुबला-पतला ठहरा मैं, दुबली-पतली काया..     या फिर गरीब था मैं, पास नहीं थी माया धन्य-धन्य हो तुम प्रिये, साथ […]

प्रेम प्यार की वो पुजारन अंखियों की वे नूर, ले आया था भर मांग उनकी ‘एक चुटकी सिन्दूर’। आने से महक उठा था देखो घर-आँगन, जीत लिया था उसने, सबका देखो मन, श्रृंगारित हो ललचाती मुझको, हंसमुख सुहागन, हम सबको नाज था उस पर देखो भरपूर, ले आया था भर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।