औरत होने के लिए… कितने पशेमान कपड़े पहने हैं उस आसमानी लड़की ने। जो फुदक रही है आसमान की छाती पे, झूम रही है मेहताब के सूफ़ी गीतों से.. खेल रही है आकाशगंगा के अनगिनत खिलौनों से। एक दिन जिसे जमीं की कूचा आके, बनना है कल की संघर्षशील औरत.. […]

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मन भटकता है,तो भटकने दो, उन्मुक्त गगन में,पंछी-सा विचरने दो। न लगाओ पहरे,इस सिरफिरे दीवाने पर, जो चाहे,जैसा चाहे उसे करने दो। मस्त मौला है ये,कब किसी की सुनता है, हर वक्त हर लम्हा मौज में ही जीता है। फूलों-फूलों,डाली-डाली इसे भँवरे-सा भ्रमरने दो, जो चाहे,जैसा चाहे उसे करने दो। […]

दिन के हलक में, अटक जाता है अक्सर शाम का कोर.. जो खाता है वो, उदासी की साग से। लाल सूरज की पुरी, फिर थपथपाती है उसकी, काल माँ पीठ.. पिला देती है, कुछ अश्कों का पानी और खिला देती है इक ख्वाब के चाँद का सफेद-सा बताशा। यूँ कोर […]

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तिनका तिनका बिखर गई हैं, मेरी सांसें किधर गई हैं। पीछे-पीछे भागा दौड़ा, आगे-आगे जिधर गई हैं। दुनिया के मेले में ढूँढा, उधर गई या इधर गई हैं। खतरा कतरा-कतरा आया, मुस्कानें भी बिफर गई हैं। मानवता मकड़ी जाले में, सच को दीमक कुतर गई है। नोटों का बंडल जो […]

क्या आप जानते हैं हिन्दी से संबंधित अनूठी जानकारियाँ…? यहाँ पर हिन्दी से सम्बन्धित सबसे पहले साहित्यकारों, पुस्तकों, स्थानों आदि के नाम दिये गये हैं।  हिन्दी में प्रथम डी. लिट् — डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल हिन्दी में  प्रथम एमए — नलिनी मोहन सान्याल (वे बांग्लाभाषी थे।) भारत में पहली बार […]

फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है, जबसे शब्द कोषों में.. प्यार की परिभाषा बदल गई। जबसे रंग भूल गए अपनी असलियत, जबसे तुम्हारी मुस्कान कुटिल हो गई.. जबसे प्यार के खनकते स्वर कर्कश हो गए, तबसे फागुन अब मुझे नहीं रिझाता है। जबसे रिश्तों में पैबंद लगने लगे, जबसे प्रेम […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।