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देखो फिर से होली आई है, संग अपने खुशियां लाई है.. बैर भाव को त्यागने का, प्रेम संदेशा लाई है… देखो फिर से होली आई है…। होकर रंगों में सराबोर, मिटा दो दिलों की दूरियां.. न हो किसी से कोई रंजो-गम, चारों तरफ हों बस खुशियां.. छाई चारों तरफ,सुनहरी पुरवाई […]

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आयो आयो रे फागुन त्योहार, झूम उठी ग्वालनियाँ-2। गौएं भी झूमे,गोपालन भी झूमे-2, अरे झूम गयो-2 नंद दरबार.. झूम उठी ग्वालनियाँ, आयो आयो रे…………….। काशी भी झूमे,मथुरा भी झूमे-2, अरे झूम गयो -2 वृंदावन नार.. झूम उठी ग्वालनियाँ, आयो आयो रे……………..। राधा भी झूमे,कन्हैया भी झूमे-2, अरे झूम गयो-2 सारो […]

रंग होली के सबको सुहाने लगते हैं, अरे ! अस्सी साल के दादा भी, आज दीवाने लगते हैं । रंग होली के देखो गज़ब कर जाते हैं, काले-गोरे सभी को, एक कर जाते हैं । रंग होली के देखो क़यामत करते हैं, होली के बहाने लोग गालों को, छूने की […]

दोस्तों,एक बात में आप सभी को बताना चाहूंगा कि, लेखक जो भी लिखता है उसे कितना कुछ सोचना पड़ता है और इसकी समीक्षा भी करनी पड़ती है कि, इस बात का हमारे समाज पर क्या कुछ असर पड़ेगा ? वो अपनी तरफ से पूरी कौशिश करता है कि,पाठको के लिए […]

अधरों पर अपने उमंग लिए, बदन मरीन उमड़ता तरंग लिए.. नयनों की पिचकारी लिए टोली, गोपियों की कृष्ण संग होली। भावनाओं के रंग हैं बड़े निराले, कान्हा भंगिमाएं लिए हैं मतवाले.. संकेतों की अभिव्यक्तियाँ अबोली, भींग गई राधा संग सखी अलबेली। नयनों की रंग धार खुमार लिए तेज, कपोलों के […]

गौरी जोहवे वाट, फागुन को ठाट.. हाट रंग-पिचकारी को, छुप गयो जाने कहाँ। देखें हम यहाँ, दो महतारी को। डारूँ उनपे रंग, करूं मैं तंग। और वो झुँझलाए, मन में मेरे बात.. पिचकारी साथ शायद ही बच पाए। गालन मलै गुलाल, बिगाड़ें हाल। आज दिन होरी को, करें हमें परेशान। […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।