इतना ग़म ने भी मुझको मारा है। हाय क़िस्मत को क्या ग़वारा है।। चलते रहना तू सच की राहों में। झूठ सच से सदा ही हारा है।। कितने आरोप तुम लगा डालो। मुझको सच का बड़ा सहारा है।। कैसे नेताओं पे यक़ीन करुं। खा लिया भैंस का भी चारा है।। […]
कविता आँखें खोलती,कविता लड़ती जंग कविता लाती चेतना,कविता भरती उमंग। कविता दिल में उतरती,कविता करती मार कविता जोश उभारती,कविता की तलवार। शस्त्र सिर्फ कर सकते,तन पर ही प्रहार अंतर्मन झकझोरती,ये कविता की धार। कविता जब लगाती है,अपनी तेज हुंकार अर्जुन भी उठ खड़ा हो,करता है ललकार। याद दिला इतिहास का,बढ़ाती […]
