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इस फ़िल्म का विषय दर्द के साथ चुभन पैदा करता है। फ़िल्म को पहले दृश्य से ही साधे रखा है श्रीजीत मुखर्जी ने। यह फ़िल्म श्रीजीत की ही बंगला फ़िल्म ‘बाजकहिनी’ का हिन्दी रीमेक है। फ़िल्म का ताना-बाना आज़ादी के बाद इंडो-पाक बंटवारे की रेखा है,जिस पर एक कोठा ओर […]

सरकार कहती है `डिजिटलीकरण` करो। बैंक कहते हैं-`अंधाकरण` करो। जब अंधे बैंक लूट सकते हैं,तो बैंक कर्मचारियों को अंधा नहीं कहा जा सकता। आप कैशलेस होना चाहते हैं,बैंक वही तो कर रहे हैं।  आपको कैशलेस और खुद को कैशवान। बैंक नारा देती है-रिश्तों की जमा पूंजी-आपको समझ में नहीं आता […]

माननीय, नई शिक्षा नीति में भारतीय भाषाओं व संस्कृति आदि से संबंधित सुझाव विचारार्थ सादर प्रस्तुत हैं- संघ की राजभाषा हिन्दी व राज्यों की भाषाओं का शिक्षण 1.भारत के संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार हिन्दी संघ की राजभाषा है और अनुच्छेद 351 में यह निर्देश है कि संघ का यह कर्तव्य […]

छिन्न-भिन्न कर दीजिए,उनके सारे अंग, जो सैनिक को पीट कर,दिखा रहे थे रंग।। फारुख अब्दुल्ला कहे,’राइट’ पत्थरबाज, सेना को ही सौंप दो,खल का करे इलाज।। मणिशंकर चिल्ला रहा,जैसे ऊदबिलाव, इसे जीप पर बाँधकर,इक-दो गली घुमाव।। बेशर्मी की हद करे,सुश्री शबनम लोन, कोई मुझको दीजिए,इस हरहठ का फोन।। महबूबा के मोह […]

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माँ का दिल न जाने किस फौलाद का बना होता है, औलाद की हर तपन सहता है। माँ का दिल न जाने किस मिट्टी का बना होता है, रोज आँसूओं की असीम बारिश सहता है फिर भी नहीं गलता है। माँ का दिल घर की विपत्ति में चट्टान-सा अड़ा होता […]

शूल मेरे गाँव के अब,फूलों से भी प्यारे लगे, शहरों में रहते हुए,जी-सा भर आया है। माँ की नहीं गोद यहाँ,पिता का आदर्श नहीं, कांक्रीट का वन यहाँ,लोगों ने बसाया है।। सुबह से शाम यहाँ,यादों में गुजरती हैं। आता न समझ यहाँ,अपना पराया है।। छूट गए घर द्वार,रिश्तों की खबर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।