दिल की खुली किताबों पर, मैं प्रियवर तेरा नाम लिखूं। इसके हर कोरे पन्ने पर तेरे, संग महकती शाम लिखूं।। जीवन के कोरे कागज़ हैं, जो तुम आओ तो रंग खिले। तेरे संग चले मेरी साँसें,तेरे साथ ही पूर्ण विराम लिखूं।। […]
कभी-कभी भ्रमण में? मिलना रहना खाना पीना घूमना बहुत अच्छा लगता है,पर न जाने क्यों लौटना बिदा होना,पलट के देखना उस पल पलकें भारी करता हैl यादों का वजन, पानी भरे नयन.. कथन-उपकथन, बिताए पल छिन लगा हुआ मन, दिन-दिन की अनुभूति-चित्रण विछोह साथ आ जाता हैl क्या कोई देश, या शहर,प्रकृति भी हमें लिप्त प्रायः करती […]
