एक बंद पड़े पुराने दराज़ से निकाली है मैंने, अपने सबसे उजले दिनों में लिखी प्रेम की कविताएं..। सबसे खूबसूरत दिनों में तुम्हारे भेजे प्रेम-पत्र, अचानक से इनके साथ ही,मेरे हाथ आ गए… कांच से भी ज्यादा मेरे हाथ में चुभने वाले। तुम्हें भेजे हुए मेरे आखिरी खत के टुकड़े, […]

‘मैं’ हूँ मेरे अस्तित्व में, किसी और के अस्तित्व में नहीं यही मेरी अहमियत है। ‘मैं’ अन्य मानव व पेड़ पौधों व जीव-जन्तुओं की भाँति, स्वयं सांसें लेता हूँ यही मेरी अहमियत है। ‘मैं’ अपनी उत्तरजीविता के लिए नित्य जीवन संघर्ष करता हूँ, यही मेरी अहमियत है। ‘मैं’ मेरे नाम […]

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देखा है तिल-तिल बढ़ते हुए उठते,गिरते फिर चलते हुए.. सफलता की सीढ़ियां चढ़ते हुए, मैंने देखा है….. छोटे कद का बड़ा आदमी। संघर्ष की आग में तपते हुए, कुंदन बनकर निखरते हुए.. खुशबू-सा बिखरते हुए, मैंने देखा है………….. छोटे कद का बड़ा आदमी। कष्ट में भी मुस्कुराते हुए, सबको गले […]

यूँ बिना ख्वाब के तुम घर से निकलते क्यूँ हो। पाँव के छालों से डरते हो तो चलते क्यूँ हो॥ अच्छे खासे हो मियां थोड़ी तो मेहनत कर लो। यूँ जवानी में भरी बैठ के ढलते क्यूँ हो॥ धूप में रहना है तो खुद को यूँ पत्थर कर लो। बन […]

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सातारा जिले के कर्ज लेने वाले गरीब किसानों को देखिए,बस इनको आत्महत्या नहीं करनी है। हाँ,इनके कारण असली किसान आत्महत्या जरूर कर रहे,वैसे भी कर्ज एक बार माफ़ किया जाता है, गलती भी एक बार माफ़ की जाती है,दूसरी बार गलती नहीं,अपराध होता है। इसी प्रकार एक बार कर्ज माफ़ […]

1]बस्ता सब  बच्चों पर  भारी है। पढ़ना-लिखना जब लाचारी है। शिक्षा  इक  ऊँचा   मंसूबा  है, इसका  लेकिन  खर्चा भारी है। पूरब पर पश्चिम का रुतबा पर , ये  पीढ़ी  उसकी  आभारी   है । पढ़े  लिखों में  बिसरी  बेगारी, अनपढ़ अनगढ़  सत्ताधारी है। लायक  सारे  नाप   रहे  रस्ते, […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।