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मुझे क्यों भुला रहे हो,          दूर तुमसे जा रही हूँ.. क्यों नहीं बुला रहे हो,           अपनी मैं हूँ तुम्हारी.. पहले थी मैं सबको प्यारी,        बेजुबाँ तुम लोग थे जब.. बोलना मैंने सिखाया, बहन देवनागरी ने कैसे लिखना है […]

सागर में चाहें आए तूफान, तब भी जीवन की नैया, पार कर लूँगा मैं। आपके साथ पाताल से, गगन तक छा जाऊंगा मैं। कुछ ऐसा कर दूँगा मैं,      मेरी याद न मिटे। चाहे फूल जंगल का हो,    सुवास भर दूँगा मैं। रेखाओं से बनाया है, महल सपनों […]

साँवरे बदरा बरसन लागे, प्रेम की बतियाँ करनन लागे। पुलक-पुलक देखो नाच रही वसुधा, मनवा से उड़ गई आतप की क्षुधा, धानी चुनरिया ओढ़ावन लागे साँवरे बदरा बरसन लागे। दादुर मोर पपीहा मिल बोले, दिलवा के भेद अबै सब खोले कोयलिया काली कुहुकन लागे, साँवरे बदरा बरसन लागे। ठुमक-ठुमक के पवन […]

नहीं जाने दूँगा अब कहीं ओर! यूँ ही पकड़ के रखूँगा हाथों में हाथ। ओ मेरे चितचोर, तुम ही तो लाते हो सदैव बादल घनघोर॥ सुबह,दोपहर और साँझ तुम्हारे साथ ही खिलता मेरे मन का मोर॥ गहन रहस्य प्रकृति का बता दूँ, तेरी हरीतिमा से मैं आँचल भू का सजा […]

वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं, वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं। तमाम रात मुझे नींद कैसे आएगी, तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं। वो ख़त जो अपने पते पर कभी नहीं पहुंचे, उन्हीं बेनाम ख़तों का पता रहा हूँ मैं। ख़फा-ख़फा-सी रही […]

हिन्दी प्रान्तों के लोग भी अगर हिन्दी को अपना लें तो इसे किसी अन्य भाषा-भाषी का मुखापेक्षी होने की ज़रूरत नहीं है। दुनिया की जनसंख्या में हिन्दी-भाषियों की संख्या बहुत बड़ी है,पर समस्या यह है कि अपने ही घर में हिन्दी जलावतन हो गई है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण है उत्तर प्रदेश के […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।