वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं,
वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं।
तमाम रात मुझे नींद कैसे आएगी,
तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं।
वो ख़त जो अपने पते पर कभी नहीं पहुंचे,
उन्हीं बेनाम ख़तों का पता रहा हूँ मैं।
ख़फा-ख़फा-सी रही है ये जिंदगी मुझसे,
ख़फा-ख़फा ही सही चाहता रहा हूँ मैं।
मैं उससे जब भी मिला हूँ ,मिला सलीके से,
ये और बात कि,अक़्सर ख़फा रहा हूँ मैं।
वो एक शख़्स जो सबकी दुआ में है शामिल,
उसी ही शख़्स को बस चाहता रहा हूँ मैं।
#अमित वागर्थ
परिचय : अमित वागर्थ की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य),डी.फिल. तथा यूजीसी ‘नेट’ जेआरएफ है। आप पेशे से अध्यापक हैं। जन्म १९८४ में आम्बेडकर नगर में हुआ है।वर्तमान में आपका निवास इलाहाबाद(उत्तरप्रदेश) में है। रचनाओं का प्रकाशन विविध पत्र-पत्रिकाओं में आलोचनात्मक लेख,गीत व ग़ज़लों के रुप में होता है।रेडियो चैनल से ग़ज़ल का प्रसारण हो चुका है।