हँसते रहते हो ग़म ओ रंज छुपाने के लिए, तुम भी क्या ख़ूब पहेली हो ज़माने के लिए।ख़ुद से रुठे हुए क्यों बैठे हो तन्हाई में, कौन आएगा यहाँ तुमको मनाने के लिए। ग़म भुलाने की कोई और ही अब राह करें, मयकशी राह नहीं ग़म को भुलाने के लिए। […]

डाले झोला घूम रहे जो,सत्ता के  गलियारों में। उनका सपना पहुँच बने बस,दिल्ली के दरबारों में॥ भूखे-नंगे जन को देना,वाणी उनका काम नहीं। बैठे-बैठे वे सिर पीटें,छपा कहीं यदि नाम नहीं॥ वे तो केवल चाह रहे यह,छपें रोज अखबारों में। डाले झोला घूम रहे जो….॥ चरण वंदना उनकी आदत,आगे-पीछे घूम […]

आज रमेश अपनी पूरी पढ़ाई करके अपना घर पहुँच गया था,उसे ऩौकरी की चिंता थी। उसके साथ बहुत सारे दोस्त थे जो बेरोजगार ही थे। ये लोग एकसाथ बैठते और जिन्दगी के ताने-बाने बुनते थे। रमेश भी कभी आशा-कभी निराशा के बीच अपने आप को पाता। सभी दोस्त अखबार के […]

क्या हुआ कि,आज माँ घर से पराई हो रही है, दो वक्त की रोटी की खातिर माँ की विदाई हो रही है। बंट रहे हैं घर-मकाँ, माँ- बाप भी बंटने लगे हैं, हो गया व्यापार, रिश्तों की जुदाई हो रही है॥                   […]

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मैं अधूरी ही तो हूँ, उस आधी भरी ग्लास जैसी। अधूरा,अधूरा ही तो सब कुछ मेरा तुम बिन, स्त्रीत्व अपूर्ण है मेरा बिन पुरूष तुम्हारी संगिनी बने, बिन मातृत्व सुख के। और आज भी है मेरी रात अधूरी है, दिन उदासी है साँझ प्यासी है, सुबह आशाई है। मैं इतजार […]

हसरतें सब आपकी मौला करे फूले-फलें, हर कदम खुशियाँ तुम्हारी हमकदम बन कर चलें। इन लबों पर हो तराने प्रीत के,मनमीत के, ज़िन्दगानी के चमन में फूल खुशियों के खिलें। ज़िन्दगी में ज़िन्दगी,बस ज़िन्दगी की बात हो, शाम सिन्दूरी हमेशा,गुनगुनाती रात हो। है दुआ रब आपके हर ख्वाब को पूरा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।