सोचता रहता हर पल मन,                                                                                   कभी कुछ-कभी कुछ कहता मन […]

जिंदगी खुली किताब की तरह है। विचारों में जरा खुलापन रखिए॥ रिश्ते यूँ ही नहीं बनते जिंदगी में। इनमें थोड़ा तो अपनापन रखिए॥ खुशबू की तरह महकते रहो। हर गरीब के काम आते रहो॥ रोशन करो झोपड़ी उनकी। फिर खुशी से चहकते रहो॥ भगवान ने कितने सुन्दर चरित्र किए। हर […]

लोगों के दिल छोटे और घर बड़े हो गए, बड़ा कमाल हुआ इस सदी में विजय, कपड़े छोटे और सपने बड़े हो गए। कमाई थी खुशियां जिनके लिए हमने, सियासी जंग में वो सामने खड़े हो गए। कमाए थे अपनों की खातिर जो सिक्के, कागज के वो टुकड़े रिश्तों से […]

वतन का रूप बदलेगा कभी,मुझको नहीं लगता, चमन खुशबू से महकेगा कभी,मुझको नहीं लगता। खिलेंगे फूल खुशियों के गरीबों के भी जीवन में, अब ऐसा सूरज निकलेगा कभी,मुझको नहीं लगता। दिनों-दिन जिस कदर अपने में बढ़ती जा रही महंगाई, चने का भाव उतरेगा कभी,मुझको नहीं लगता। गगन के चांद को […]

है मेरा राम को वन्दन, मिरा रहमान को वन्दन। जिन्हें भाते थे राधाकृष्ण, उस रसखान को वन्दन॥ सदा ही सत्य शुचिता की, बनी पहचान है भारत, करूं मैं हर समय इस, जगत की पहचान का वन्दन॥                             […]

फिक्र है किस बात की सब राम तुम्हें देंगे, चरणों में रखो आसरा आराम तुम्हें देंगे। सांसों की माला में बस राम नाम हो, खुशियों से भरी सदा सुबह-शाम तुम्हें देंगे। जीवन की दौड़ में भी हों राम स्मरण, भवसिन्धु बेड़ा पार कर विश्राम तुम्हें देंगे। हर क्षण करे प्रार्थना […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।