नन्हीं आंखें,बहरे कान, ढूँढ रही अपनी पहचान। तन पर मैले-फटे कपड़े , धूप रोकता नहीं मचान॥ कहते महक रहा जहान, गरीबी,बेबसी से अंजान। पढने-लिखने से वंचित, कमाने चली नन्हीं जान॥ क्योंकि घर में नहीं धान, माँ बीमार,पिता बेजान। पढ़ने-लिखने से पहले, रखना है हमें इनका ध्यान॥         […]

छोड़ो चूल्हा-चौकी रोटी। आओ,पढ़ाई कर लो बेटी॥ घर का बाद में करना काम। जग में रोशन कर लो नाम॥ विदूषी बन महको ज्यों फूल। लो बस्ता,जाओ स्कूल॥ पढ़ो-लिखो,छू लो नभ-चोटी। छोड़ो चूल्हा-चौकी रोटी, आओ,पढ़ाई कर लो बेटी॥ नहीं हो तुम बेटों से कम। शक्ति-स्नेह का हो संगम॥ दम दिखा दो […]

चकाचौंध रोशनी में नहाया राधेश्याम जी का घर ऐसा लग रहा था-मानो दीपावली आज ही हो। मेहमानों से भरा हुआ घर,सभी हर्षोउल्लास से भरे थे। राधेश्याम जी के सीढ़ियों से उतरते  ही सभी तालियों से उनका स्वागत करने लगे। आखिर क्यूँ न हो,साहित्य के बड़े सम्मान से उनको आज ही […]

नौ   मास   उदरी   में    गुदरी, तुम भी क्या रख  सकते हो? पाँच  किलो का पीठ पे बोझा, बाँध पैदल क्या चल सकते हो ? माँ है वह यह काम जो करती , तुम भी क्या यह कर सकते हो ? माँ  की  ममता के   लिए  मात्र, क्या दो दिन […]

घर खुली जगह छत, पूरा आसमान, सोने को हरी-भरी दूब ओढ़ने को रजाई चमकते जुगनूओं की। फटी रजाई में कहीं-कहीं झांकते स्वच्छ दोपहरी सूखे मेघ, साथी की न कोई चिन्ता पवन हिलाए-डुलाए-नचाए, और उसकी लय पर थिरकता एक गरीब अधम मानव का मैला-कुचैला नंगा शरीर, छप्पर की छत से झांकते […]

आज के माहौल पर,आँखें हैं अपनी नम। बढ़ता रहा समाज,और सिमटते रहे हैं हम॥ छाया हमें मिलेगी कहाँ,ये सोचते हैं हम। जंगल में हरे पेड़ जो,कटना हुए न कम॥ बेटी को भी पढ़ाना है,बेटों की ही तरह। ऐसा आपने किया तो,होगा बड़ा करम॥ आपस में मिलकर स्नेह से, प्यार से […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।