आज चल गया पता ये मुझको जनसंख्या वृद्धि बेकारी है, देश की फूहड़ आधी `जनता` ढोंगियों के चक्कर में नाकारी हैl `भीड़` बनी है मूरख जनता अंधकार की नगरी में, मूढ़ दोचकर `खलबट्टों` में व्यर्थालाप की घघरी मेंl रामपाल हो,हो आसाराम या राम रहीम के गुर्गे हों, या कह लो ये […]
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कौम-वाद,जाति-वाद, सम्प्रदाय-वाद,आरक्षण। जनता का यूँ, कर भक्षण, और कितनी,रोटी सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ ये असुरक्षित,वो गद्दार, कोई न वतन का,पहरेदार। आग लगाकर,अमन-चमन में, हाथ भला,कब तक सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ भले देश,नष्ट हो जाए, बस गद्दी इन्हें,मिल जाए। लोगों की […]
