कल-कल    छल-छल  बहती  नर्मदा, जग   की  प्यास    बुझाती   नर्मदा। हरे     भरे     से     बाग    तीर     पर, सबका       सिंचन     करती   नर्मदा। त्रिविध       ताप      से       देती मुक्ति, चार         पदारथ     देती       नर्मदा। […]

वाकई इस दुनिया में पग-पग पर भ्रम है। कुछ सवाल ऐसे होते हैं जिनके जवाब तो मिलते नहीं,अलबत्ता वे मानवीय कौतूहल को और बढ़ाते रहते हैं। हैरानी होती है जब चुनावी सभाओं में राजनेता हर उस स्थान से अपनापन जाहिर करते हैं,जहां चुनाव हो रहा होता है। चुनावी मौसम में […]

प्यार से लोग नहीं अब बात करते हैं, किसी के पीछे नहीं वक्त बर्बाद करते हैंl  अक्सर पड़ जाता है काम एक-दूजे से, मगर क्यूं नहीं इसकी परवाह करते हैंl  ख्याल आया अचानक हमको उनका, क्या वो भी हमको किया याद करते हैं ? मालूम नहीं क्या सोचते हैं वो […]

2

तुम किसी रोज मेरे पास आओ कभी, मुझपे जरा हक़ जताओ तुम कभीl               माना हैं दरमियां मीलों के फासले, अहसासों में तो गले लगाओ तुम कभीl  निहारती हूँ रोज आईने में खुद को, शीशे में भी नजर आओ तुम कभीl               हम तो महकती खुशबू से हैं सदा, खुशबू […]

आन पर मिटना जब जब हुआ होगा, सबकी आँखों से आँसू तब बहा होगा। ज्वालाओं में झोंक देना खुद ही खुद को, इतना भी आसां तो नहीं हुआ होगा। जिंदगी तो बहुत ही भाती है सबको ही, उसको ही लुटाना भला कैसे हुआ होगा। कैसे पापी दुराचारी थे वे नीच […]

हिंदी इस समय एक विचित्र दौर से गुज़र रही है। अनेक शताब्दियों से जो इस देश में अखिल भारतीय संपर्क भाषा थी,और इसीलिए संविधान सभा ने जिसे राजभाषा बनाने का निश्चय सर्वसम्मति से किया,उसे उस पद पर प्रतिष्ठित करना तो दूर,`आधुनिक शिक्षित` लोगों ने अखिल भारतीय संपर्क भाषा का रुतबा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।