प्यार से लोग नहीं अब बात करते हैं,
किसी के पीछे नहीं वक्त बर्बाद करते हैंl
अक्सर पड़ जाता है काम एक-दूजे से,
मगर क्यूं नहीं इसकी परवाह करते हैंl
ख्याल आया अचानक हमको उनका,
क्या वो भी हमको किया याद करते हैं ?
मालूम नहीं क्या सोचते हैं वो मुझको,
हम आज भी उनका एहतराम करते हैंl
कश्ती डूब रही है अब हमारी भँवर में,
देखते हैं क्या रब इसे पार करते हैं ?
`ललित` तुझ जैसे तो हैं हजारों जमीं पर,
मगर सब कहां आसमां की बात करते हैंll
#ललित सिंह
परिचय :ललित सिंह रायबरेली (उत्तरप्रदेश) में रहते हैं l आप वर्तमान में बीएससी में पढ़ने के साथ ही लेखन भी कर रहे हैंl आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है l स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी कुछ रचना छपी है l