इश्क में तेरे ग़ुम हूं मैं, ख़ामोश और गुमसुम हूं मैं । नाम से तेरे इश्क मुकम्मल, बिन तेरे गुमनाम हूं मैं ।। तुमसे मोहब्बत की थी मैंने, तुमको ही बस चाहा था । दुनिया की […]
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हिन्दी विरोध वस्तुत: भाषा और साहित्य के कारण से नहीं, परन्तु आर्थिक-सामाजिक-राजनैतिक कारणों से होता है। पूर्वांचल में, असम में और बंगाल मारवाड़ी व्यापारियों का विरोध हिन्दी-विरोध का रूप लेता है। उड़ीसा में संबलपुरी (हिन्दी-मिश्रित उपभाषा) अपना स्वतंत्र अस्तित्व चाहती है। दक्षिण में उत्तर भारत, संस्कृत, आर्य, ब्राह्मण और हिन्दी का विरोध एक साथ किया जा सकता […]