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गुड्डे-गुड़िया और घरोंदा से जुड़े किस्से कहानियाँ यकीनन हम सभी की बचपन की यादों में संभले रखे होंगे । घरौदा—>बडो के बड़े से घर के अंदर छोटों का छोटा सा घर ,, “घरौंदा” अगर अपनी समझ से कहूँ तो बड़ों की नाक के नीचे बडो के नियंत्रण से रहित पनपती […]

सुबह से शाम तक, नदी किनारे हँस हँस कर एक औरत दुनिया और दुनियादारी से परे सिक्किम की खूबसूरत वादियों में पेट की भूख मिटाने के लिए उम्र की भी सीमा लांघती तोड़ती रहती है, पत्थर, सामने ही पहाड़ों का खूबसूरत नज़ारा ऐसा कि पलकें भी नहीं झपकती हमारी, मगर […]

आसान नही  किसी से दिल का लगाना खंजर छुपाये बैठा हो अब कोई दीवाना आसान नही अपने दिल के हाल बताना धोखा दे जाते हैं लोग निभा के दोस्ताना आसान नही किसी रोते  हुये को हंसाना बहुत मुश्किल है अब हँस कर समझाना आसान  नही  है  तेरी यादो को मिटाना कुर्बान […]

जब से आकर शहर में रहता हूँ, इक अजीब से सफर में रहता हूँ॥ खुल के हँसना व रोना भी मना है क्यूंकि मै किराये के घर में रहता हूँ॥ पेड़ों के पक्ष से है रिश्ता मेरा गहरा मै बाहर अक्सर दोपहर में रहता हूँ॥ दोस्त मेरे मुझको देखकर भागते […]

ख़त्म कर इन फासलो को कब हम इतने करीब आयेंगे हवा भी गुजरने की ले इजाजत हमारे दर्मियां ऐसे दिन कब आयेंगे समर्पण से भरी होगी हमारी कहानी, ज़माना जाने हमारे इश्क़ को, ऐसे दिन कब आयेंगे तू है सिर्फ मेरा इस बात का इल्म है मुझे, बुझेगी तुझे पाने […]

  चलो’ हम बैठ कर कुछ देर , बतियाएँ अकेले में कही अपनी ही ग़ज़लें फिर से दोहरायें अकेले में भले गहरी नदी है , मैं उतर जाऊँगा गहरे तक अनाड़ी हैं कहीं वो ,कूद न जायें अकेले में मोहब्बत नाम की ये शै , मिला करती मुक़द्दर से अगर […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।