0
0
Read Time39 Second
मैं पीने को तो समंदर भी उठा लाता
तेरी निगाहों से क्यों रिहाई नहीं मुझे
महफ़िल झूम उठा है तेरी झलक से
वो तस्वीर तेरी क्यों दिखाई नहीं मुझे
वो नज़्म तेरे ही गाके मशहूर हो गया
दिलकश तराने क्यों सुनाई नहीं मुझे
चर्चे थे हमारे ही नाम के ज़माने में
ये राज़ कभी भी क्यों बताई नहीं मुझे
मैं तो बीमार हूँ बस तेरे ही इश्क़ का
मयस्सर होंठों की क्यों दवाई नहीं मुझे
#सलिल सरोजनई दिल्ली
Post Views:
482