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उम्र  यूँ रेत-सी फिसलती रही, लाख बंदिशों के बावजूद  बिखरती रही।   ना मुकाम पाया ,ना मुकाम का कोई निशां, जिन्दगी तो मेरी  राह में  निकलती  रही …l अरमां थे कि ख्वाबों का बनाएँगे आशियाना, जोड़ने लगा मैं तिनके –तिनके,चुन –चुन  के   मगर आँधियाँ मुझसे होकर फिर गुजरती रही।   […]

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एक बार संत हुसैन का ध्यान कुत्ते की तरफ आकृष्ट करते हुए किसी नास्तिक व्यक्ति ने पूछा-‘आप दोनों में श्रेष्ठ कौन है? आप अच्छे हैं या यह कुत्ता अच्छा है?’ संत जानते थे,जिसकी आत्मश्रद्धा कमजोर हो या जो अपने अस्तित्व को स्वीकार न करता हो वह नास्तिक है। जो धर्म […]

अगर श्रद्धा है तो सिंदूर लगा एक पत्थर भी भगवान बन जाता है,और उस पर जब विश्वास हो जाए तो यकीन मानिए, जीवन के हर पल में सुख दुःख में वो आपके साथ होगा। जब भी कहीं आपके कदम गलत बढ़ेंगे,उस वक़्त जिस पत्थर से ठोकर लगकर आप सम्भलोगे,यह वही […]

प्राचीन समय से ही हम भगवान को रूपए-पैसे चढ़ाते आ रहे हैं। पहले उसका रुप बहुत छोटा था, पर आज उसका बहुत विस्तृत होता जा रहा है। हमारी मान्यता है कि,कण-कण में भगवान है, ईश्वर एक अवर्णनीय शक्ति है, जिसे हम महसूस करते हैं। प्रकृति के रुप में उसको देखते […]

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उल्लास,उमंग और जोश से भरा एक कारवाँ अपने पूरे चरम पर था.., जहाँ हर कोई उत्साह से लबरेज था.. पर यह क्या,सामने आंखों में अश्रु समेटे एक किशोरी रथ की ओर बढ़ी चली आ रही थी….। वो ठहरी और भीड़ के भगवान को सांत्वना देती हुई निकल गई…।भगवान जी के […]

(गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज को समर्पित) एक संत विरला, जग के कल्याण को निकला। धर्ममय राष्ट्र को परिभाषित किया, राष्ट्र में धर्म को समाहित किया। जिनका धर्म राष्ट्र है, जो श्रमण सम्राट है। एक जैनाचार्य लिखते धर्म की इबारत, मगर ह्रदय में सबसे पहले भारत। पशु धन बचाओ, मांस निर्यात […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।