फरियाद फकीर की ….

2
0 0
Read Time2 Minute, 15 Second

उम्र  यूँ रेत-सी फिसलती रही,

लाख बंदिशों के बावजूद  बिखरती रही।

 

ना मुकाम पाया ,ना मुकाम का कोई निशां,

जिन्दगी तो मेरी  राह में  निकलती  रही …l

अरमां थे कि ख्वाबों का बनाएँगे आशियाना,

जोड़ने लगा मैं तिनके तिनके,चुनचुन  के  

मगर आँधियाँ मुझसे होकर फिर गुजरती रही।

 

पाने तुझे क्या-क्या तलाशा परवर दिगार,

रूह तलक  तुझे ढूँढने निकलती रही

सुनकर तेरी आहट भटकती रही

 

सुना है कि तू खुद्दार है हे खुदा ,

होता नहीं तू अपने बंदे से जुदा

क्यों ना पाया तू मेरी पुकार पर,

मेरी आहें तेरी खुशबू को मचलती रही।

 

कुछ ऐसा कर करतब बाजीगर कि,

मेरा यकीं उठ पा तुझसेतेरे दर से 

बस एक तू ही मेरा सच्चा  राजदाँ  लगता है

तेरे सजदें में मेरी उम्मीद अब तलक पलती रही

 

एक यही फरियाद है इस  फकीर की `मनु`,

हिफ़ाजत की चादर तू फैला मेरे मौला…

रूह मेरी  उस साँचे में ढल जाए,

जिसमें मीरगालिब की ढलती रही …l 

————————-#मनोज  सामरिया  `नु`

            सादर धन्यवाद ,

परिचय : मनोज कुमार सामरिया  `मनु` का जन्म १९८५ में  लिसाड़िया( सीकर) में हुआ हैl आप जयपुर के मुरलीपुरा में रहते हैंl बीएड के साथ ही स्नातकोत्तर (हिन्दी साहित्य ) तथा `नेट`(हिन्दी साहित्य) भी किया हुआ हैl करीब सात वर्ष से हिन्दी साहित्य के शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और मंच संचालन भी करते हैंl लगातार कविता लेखन के साथ ही सामाजिक सरोकारों से जुड़े लेख,वीर रस एंव श्रृंगार रस प्रधान रचनाओं का लेखन भी करते हैंl आपकी रचनाएं कई माध्यम में प्रकाशित होती रहती हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

2 thoughts on “फरियाद फकीर की ….

  1. सुन्दरतम कृति…
    मनु जी शुभकामनाये..।
    वन्दन..।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

तितली

Mon May 29 , 2017
मैंने भी मोहब्बत में ख्वाब देखा था, जिगर को गुलाबी फूलों से तोला था। एक तितली जिंदगी में आई थी, खुशियों के रंग वो साथ लाई थी। हर दिशा रोशन-सी लगती थी, मानो वही असली जिंदगी थी। भोर से साँझ बस वही दिखती थी, हर पल मिलने की चाह उठती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।