मेरे राम

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rishabh

उल्लास,उमंग और जोश से भरा एक कारवाँ अपने पूरे चरम पर था..,
जहाँ हर कोई उत्साह से लबरेज था..
पर यह क्या,सामने आंखों में अश्रु समेटे एक किशोरी रथ की ओर बढ़ी चली आ रही थी….। वो ठहरी और भीड़ के भगवान को सांत्वना देती हुई निकल गई…।भगवान जी के चेहरे के भाव अब लगातार परिवर्तित हो रहे थे..।
वो होनी को नजरअंदाज करते भगवान जी होने के गुमान में  अपने ‘राम’ के साथ चले जा रहे थे….। तभी कारवाँ चरम पर पहुंचा…। भगवान अपने ‘राम’ को छोड़कर चले गए…। कुछ ही क्षणों में भगवान जी का भगवान से विश्वास डगमगा गया..। जीवन के सबसे बड़े दुःख से जो सामना करना था..।हो भी क्यों न??आखिर भगवान जी जो ठहरे…..। भगवान जी अपने ‘राम’ के बिना वापस आ गए…। रात्रि के प्रहर सदियों के गहरे काले कालक्रम की तरह बीत रहे थे…। भीड़ के भगवान के दुःख का कोई असर भीड़ पर नहीं था…। खुद को मेरे प्रिय का ‘राम’ कहने वाली भीड़ सम्मान की फूलमाला पहनकर गंतव्य को चली जा रही थी…।
प्रातः की भोर के साथ ‘राम’ के आने का सिलसिला प्रारंभ हुआ..। उस दिन ‘राम’ और तथाकथित ‘राम’ में अंतर का बोध हुआ…। अतः सही समय में ‘राम’ का बोध होना जीवन को कठिनाइयों से उभार सकता है,वरना तथाकथित ‘राम’ से घिरे होना मार्ग से भटका सकता है। ‘राम’ की पहचान की कीमत तय करना आवश्यक है…।
अतएव विलंब किए वगैर प्रयास आरम्भ करें…।।।

परिचय : छिंदवाड़ा (मध्यप्रदेश)निवासी ऋषभ एस. स्थापक विभिन्न विषयों पर शौक से कलम चलाते हैं। आप कलेक्टर कार्यालय के महिला एवं बाल विकास विभाग (छिंदवाड़ा)में कार्यरत हैं । 22वर्ष आपकी आयु है।

matruadmin

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2 thoughts on “मेरे राम

  1. बहुत गहरा। अद्भुत संदेश।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।