यह तो सत्य है ही कि दीवारें करती है विभक्त हिस्सों में । ये हिस्से बाँट देते हैं – देश को भी और घर परिवारों को भी । जितना सत्य है यह , उतना ही सत्य यह भी है कि दीवारें देती हैं सुरक्षा भी । इन दीवारों से ही […]

ग़म में ग़ाफ़िल दीवाना इतना, कि ग़म की अंधेरी रात में ग़म ही चिराग़ हो गया। जलती रही उसकी चिता रात भर बिना किसी के आग दिए ही अपने ग़म कि गर्मी से राख हो गया। सहर की हवाओं ने उड़ा दी उसकी चिता की राख फ़िज़ा में दूर कही […]

मकानों में बसा है घर, दीवारों का मकां है ये । दीवारों में बसा हूँ मैं, दीवारों की ये बस्ती है। खुशबू है मोहब्बत की, गर दीवारें हो न नफ़रत की । कहीं सरहद बनातीं हैं , कहीं  नफ़रत दीवारें है। कहीं मंदिर बनातीं हैं, कहीं मस्ज़िद दीवारें हैं । […]

   मां जैसी ये प्यारी लगती ,    भारत मां के भाल पर सजती ।     भाषाओं की सिरमौर है पर,       अपने सम्मान को है तरसती ।।     सरल सहज आसान है हिंदी ,       एक नया विहान है हिंदी ।     […]

पाकिस्तान अब एक नई मुसीबत में फंस गया है। फरवरी में सउदी अरब, तुर्की और चीन ने पाकिस्तान को बचा लिया था लेकिन अब इन तीनों राष्ट्रों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। अब पेरिस स्थित अंतरराष्ट्रीय संगठन (एफएटीएफ), जिसका काम आतंकवादियों के पैसे के स्त्रोतों को सुखा देना […]

अधूरा हूं तुम बिन पर उम्मीद है तुम एक दिन आओगी कहीं से अचानक आकर मुझसे टकराओगी। जानोगी मेरा हाल और मुझे देख मुस्कुराओगी शायद उस दिन तुम न चाहते हुए भी मेरी बन जाओगी। मेरा सुख-दुःख बांटोगी मेरा जीवन मधुर बनाओगी और मेरे हृदय में बस मेरी काव्य धारा […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।