मेरी ग़ज़ल भी तुम्हारी रोटी  जैसी हो जाए जिसे खा के किसी पेट की आग मिट जाए हरेक नज़्म हो दर्ज़ी की  कैंची के माफिक गर लफ्ज़ बिगड़े तो ज़ुबान तक कट जाए हर हर्फ़ ने छिपा रखा हो आसमाँ का राज़ जो बरसे कभी तो ज़मीं का दिल फट […]

प्रेम ..? बादल बिजली सा ..? ना, नही है मेरा प्रेम ऐसा .। क्षणिक.. समय आधारित । मेरा प्रेम . चातक चकोर  सा ? न ,न, ..अपेक्षा है रात पर तरसता है रोता है .. न ,ऐसा नहीं है प्रेम मेरा .. मेरा प्रेम चंदन पानी .. ना,ये भी ना […]

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प्यासी मेरी धरती रानी। प्यासे पेड़, पौधे हैं प्यासे ताल तलैया, नदियां प्यासी छोटे छोटे बच्चे प्यासें दादा प्यासे, नानी प्यासी सारी धरती प्यासी- प्यासी। अरे देखो वो काले बादल नन्हें नन्हें काले बादल छोटू हाथी जैसे बादल जल से भरे सूंड़ हिलाते आसमां में घुमड़ रहे हैं आपस में […]

तुम  मेरे  ही अंश    हो   प्यारे!, और     मेरा       मूल      वंश । फिर हमको क्यों  देते  तुम हो , उपेक्षा  ,    उलाहना       दंश ? उपेक्षा    ,    उलाहना     दंश ? कंश जैसा व्यवहार  करते हो? जो तुम्हें  जना  पाला   पोसा , एकांत जेल में उसे रखते  हो ? कहै ‘भवन’ यह कर्म […]

ना चाहते हुए भी वसु की आँखे नम थी।आँसुओं से आँखे भरी हुई पर वह ठान बैठी थी की आज वह उस अनमोल अश्क को गालों पर लुढ़कने ही नही देगी चाहे जो हो जाएँ। रक्तिम आँखे उलझा हुआ मन और बेकाबु धड़कने और बेइंतहा दर्द। आज दर्द हारेगा यह […]

गुज़री है जो इस दिल पे बता क्यों नहीं देते इस बोझ को सीने से हटा क्यों नहीं देते तुम हक़ ये मुहब्बत का भला क्यों नहीं देते काँधे से मेरे सर को टिका क्यों नहीं देते फूलों की तरह दिल में उमंगे भी खिलेंगी इक बार नज़र मुझसे मिला […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।