धुंधलाने न दे नन्हें विटपों का सवेरा , उम्मीदों की उड़ानों से भरा है चेहरा , छोटे हैं पर सपने इनके खूब बड़े – बड़े , दे बड़ें इन्हें आकार आगे हैं ये बढ़ें । नयी तकनीकियों में झूल रहा है संसार , नोनिहालों का बचपन करे है ये दुश्वार […]

 कौन हैं जो राज अपने उन तलक पहुँचा रहे ।  खा रहे हैं देश की गाने विदेशी गा रहे ॥१॥ दुश्मनों को दे रहे हैं भेद सारा देश का । देश के गद्दार सारे, देश बेचे जा रहे ॥२॥ चन्द पैसों के लिये जो गिर गये ईमान से । लाज […]

मत रुठ के यूँ बैठ समन्दर उदास है।। ऐ नदिया समंदर को तेरी ही प्यास है।। बलखाती तू मिलती है उसके जब गले, उस लम्हे की लिए हुए बैठा वो आस है। तेरे रुकने से रुक जाएंगे ये सारे नज़ारे, तेरे रूठने का ये रुका हुआ अहसास है।। कितना अजीब […]

मेरे दिल की हर बात समझती हो मेरे खयालात समझती हो तुमसे रिश्ता कोई गहरा है तभी मेरे जज्बात समझती हो रहूं खामोश तो मायूस तुम भी तो तुम मेरे हालात समझती हो आती नहीं नींद करवट बदलता हूँ कैसे कटती मेरी रात समझती हो आँखों में समाई है तस्वीर […]

जीवन सबका रेत समान फिर काहे का करों अभिमान फिसलता जाता सांसो स्वांस फिर खत्म हो जाती सब आस मिट्टी से जन्मा मिट्टी हो जाता सच मे हाथ कुछ भी न आता जो कर्म किये जीवन में अच्छे वही साथ निभाते सच्चे फिर समय क्यो गंवाता बन्दे एक एक पल […]

अनुभूति हुई है रात के सवा तीन बजे चांद आधा है… आसमान में तारे चुप है… वो दूर खडे़ दो टावर… जिन पर कोई लाल रंग की लाइट नहीं लगी है घर की छत से… धुंधले दिखाई पड़ रहे हैं… पास वाली गली में… एक बैल… ऊंघ रहा है… वो […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।