मत रुठ के यूँ बैठ समन्दर उदास है।।
ऐ नदिया समंदर को तेरी ही प्यास है।।
बलखाती तू मिलती है उसके जब गले,
उस लम्हे की लिए हुए बैठा वो आस है।
तेरे रुकने से रुक जाएंगे ये सारे नज़ारे,
तेरे रूठने का ये रुका हुआ अहसास है।।
कितना अजीब है ये मिलन देख तो सही,
खारा है समन्दर तो तुझमें मिठास है।।
जा मिल जा समंदर से उसे तेरी आस है।।
लहरों की मस्तियों संग आ मेरे पास आ।
इस “देव”के दिल को भी बस तेरी प्यास है।।
#प्रजापति राहुल “देव”