अनुभूति…

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sunil naman
अनुभूति हुई है
रात के सवा तीन बजे
चांद आधा है…
आसमान में तारे चुप है…
वो दूर खडे़ दो टावर…
जिन पर कोई लाल रंग की लाइट नहीं लगी है
घर की छत से…
धुंधले दिखाई पड़ रहे हैं…
पास वाली गली में…
एक बैल…
ऊंघ रहा है…
वो उस घर की छत पर…
ध्वजा चुप है
सरकंडे से लिपटी हुई…
दूर कहीं से ट्रेन के गुजरने की आवाज़
चीरती है कानों को…
शहर गहरी नींद में सोया है…
सुबह की नींद…
मीठी होती है…
भीनी भीनी मीठी मीठी नींद…
गर्मी के मौसम में…
कहीं स्ट्रीट लाइट अपने रोशनी के रंग बिखेर रही है…
तो कहीं घुप्प अंधेरे का फायदा…
चोर उठाते है…
अनुभूति हुई है
रात के सवा तीन बजे
चांद आधा है…
आसमान में तारे चुप है…
वो दूर खडे़ दो टावर…
जिन पर कोई लाल रंग की लाइट नहीं लगी है
घर की छत से…
धुंधले दिखाई पड़ रहे हैं…
पास वाली गली में…
एक बैल…
ऊंघ रहा है…
वो उस घर की छत पर…
ध्वजा चुप है
सरकंडे से लिपटी हुई…
दूर कहीं से ट्रेन के गुजरने की आवाज़
चीरती है कानों को…
शहर गहरी नींद में सोया है…
सुबह की नींद…
मीठी होती है…
भीनी भीनी मीठी मीठी नींद…
गर्मी के मौसम में…
कहीं स्ट्रीट लाइट अपने रोशनी के रंग बिखेर रही है…
तो कहीं घुप्प अंधेरे का फायदा…
चोर उठाते है…घनघना रहे हैं अनगिनत कूलर पंखें…
इस शहर को राहत कहाँ है ?
सड़क किनारे बनी उस चाय की थड़ी….को
उस साठ बरस के हाड़ मांस शरीर ने ग्राहकों के लिए अब…
खोल दिया है..
स्टोव पर उबलने लगी है चाय…
चार बजते बजते…
चहलकदमी शुरू होने लगती है…
अब निकल आयेंगा सूरज चाचू…
अनुभूति….
हर रोज होती है…
शब्द मिल रहे हैं…
आज अनुभूति को…
बन गई है…
मेरी अनुभूति…
   #सुनील कुमार
परिचय :सुनील कुमार लेखन के क्षेत्र में धार्विक नमन नाम से जाने जाते हैं। आप वर्तमान में डिब्रूगढ़ (असम)में हैं,जबकि मूल निवास झुन्झुनूं (राजस्थान) है।  शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (अंग्रेजी साहित्य,समाज शास्त्र,)सहित एम.एड., एमफिल और बीजेएमसी भी है

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।