अनुभूति…

0 0
Read Time2 Minute, 48 Second
sunil naman
अनुभूति हुई है
रात के सवा तीन बजे
चांद आधा है…
आसमान में तारे चुप है…
वो दूर खडे़ दो टावर…
जिन पर कोई लाल रंग की लाइट नहीं लगी है
घर की छत से…
धुंधले दिखाई पड़ रहे हैं…
पास वाली गली में…
एक बैल…
ऊंघ रहा है…
वो उस घर की छत पर…
ध्वजा चुप है
सरकंडे से लिपटी हुई…
दूर कहीं से ट्रेन के गुजरने की आवाज़
चीरती है कानों को…
शहर गहरी नींद में सोया है…
सुबह की नींद…
मीठी होती है…
भीनी भीनी मीठी मीठी नींद…
गर्मी के मौसम में…
कहीं स्ट्रीट लाइट अपने रोशनी के रंग बिखेर रही है…
तो कहीं घुप्प अंधेरे का फायदा…
चोर उठाते है…
अनुभूति हुई है
रात के सवा तीन बजे
चांद आधा है…
आसमान में तारे चुप है…
वो दूर खडे़ दो टावर…
जिन पर कोई लाल रंग की लाइट नहीं लगी है
घर की छत से…
धुंधले दिखाई पड़ रहे हैं…
पास वाली गली में…
एक बैल…
ऊंघ रहा है…
वो उस घर की छत पर…
ध्वजा चुप है
सरकंडे से लिपटी हुई…
दूर कहीं से ट्रेन के गुजरने की आवाज़
चीरती है कानों को…
शहर गहरी नींद में सोया है…
सुबह की नींद…
मीठी होती है…
भीनी भीनी मीठी मीठी नींद…
गर्मी के मौसम में…
कहीं स्ट्रीट लाइट अपने रोशनी के रंग बिखेर रही है…
तो कहीं घुप्प अंधेरे का फायदा…
चोर उठाते है…घनघना रहे हैं अनगिनत कूलर पंखें…
इस शहर को राहत कहाँ है ?
सड़क किनारे बनी उस चाय की थड़ी….को
उस साठ बरस के हाड़ मांस शरीर ने ग्राहकों के लिए अब…
खोल दिया है..
स्टोव पर उबलने लगी है चाय…
चार बजते बजते…
चहलकदमी शुरू होने लगती है…
अब निकल आयेंगा सूरज चाचू…
अनुभूति….
हर रोज होती है…
शब्द मिल रहे हैं…
आज अनुभूति को…
बन गई है…
मेरी अनुभूति…
   #सुनील कुमार
परिचय :सुनील कुमार लेखन के क्षेत्र में धार्विक नमन नाम से जाने जाते हैं। आप वर्तमान में डिब्रूगढ़ (असम)में हैं,जबकि मूल निवास झुन्झुनूं (राजस्थान) है।  शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (अंग्रेजी साहित्य,समाज शास्त्र,)सहित एम.एड., एमफिल और बीजेएमसी भी है

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

जीवन

Sat Jul 7 , 2018
जीवन सबका रेत समान फिर काहे का करों अभिमान फिसलता जाता सांसो स्वांस फिर खत्म हो जाती सब आस मिट्टी से जन्मा मिट्टी हो जाता सच मे हाथ कुछ भी न आता जो कर्म किये जीवन में अच्छे वही साथ निभाते सच्चे फिर समय क्यो गंवाता बन्दे एक एक पल […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।