. *1* आजादी महंगी मिली, नमन् पन्द्रह अगस्त। राज फिरंगी देश था,जन गण मन था त्रस्त। जनगण मन था त्रस्त,संघर्ष, बलिदान दिये। भारत माँ को काट, भुजा दो टूक किए। “लाल” लहू् कर भेद, बीज बोये बरबादी। वतन रहे आबाद , रहे अपनी आजादी। . *2* जनतंत्र बड़ा विश्व में, […]