जब भगवान देता है छप्पर फाड़कर देता है,शायद यह कहावत अब दोस्तों के लिए हो गई है। `फेसबुक` वह छप्पर है,जिसे फाड़कर दोस्त टपकते हैं। ७० और ८० के दशक में अंकल-आंटी टपकते थे,वे आज भी टपक रहे हैं। दादा की उम्र का हो,या बिटिया की उम्र की लड़की,अंकल-आंटी के […]

रास के रचइया मोरे कृष्ण कन्हइया हो, मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl झूमी-झूमी खेलल जाई उहाँ ओल्हा-पाती, खेलत-खेलत में होई जाई आधी रातीl खोजत-खोजत अइहें यसोमती मइया हो, मधुवन में ले के चल एक झुण्ड गइया होl रास के रचइया मोरे कृष्ण कन्हइया हो, मधुवन में […]

यारों आपकी दुआओं में हमें याद किया करो। नियति सुख में भूल, गमों में याद किया करो॥ अक्सर जब गम-ए-लम्हें नागिन बनके डंसते हैं। कुछ न सोचो, न डरो,जरा मदिरा पिया करो॥ यार छूटे, प्यार टूटे, दिल के टुकड़े हो जाए। डरना न कभी, काम हिम्मत से लिया करो॥ जीना […]

विश्व को बचाना है तो वृक्ष लगाना सीखो भारत। बच्चों से प्यारे पौधों को पानी पिलाना सीखो भारतll सूख रहे हैं आम-कटहल,कट रहे हैं नीम-पीपल। रूठ गई है धरती मैया,रूठ गए प्यारे बादलll सूखा पड़ने से पहले नई कहानी लिखो भारत, विश्व को बचाना है तो वृक्ष लगाना सीखो भारत। […]

एक पेड़ था। धूप से उसके सारे पत्ते झुलस गए थे। जेठ की दुपहरी का कड़क तूफान…दो पत्तों मे पक्की मित्रता थी। एक धूप में तपकर सिहरते हुए अपने साथी से बोला-‘भाई! अब मैं मर जाऊँगा। जीवन में इतनी तपन है, मुझे नहीं मालूम था।’ दूसरा पत्ता मुस्कुराते हुए बोला-‘मरने […]

संघर्ष करता,जूझता परिवार मार्कण्डेय गोत्रीय। जीवन को गति प्रदान करने के लिए मास्टरी कर सुकून महसूस कर रहा था। परिवार में ख़ुशी की लहर दौड़ गई थी,क्योंकि चन्द्रशेखर जी के यहाँ दमयंती ने जन्म लिया था। संघर्षरत परिवार दमयंती के आने से प्रसन्न हो गया। कन्या जल्द ही बड़ी होती […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।