मेरे मन में बस जाओ कन्हैया मेरे, सुबह उठते ही तुम्हें मै निहारा करूं। चराते हो जो गईया मधुबन में प्रभु उन गाईयो का मैं नित्य दुग्ध पान करू। बजाते हो बंसी जो यमुना तट पर उस बंसी की तान में रोज श्रवण करू। खाते हो जो माखन मिश्री प्रभु […]
काव्यभाषा
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