
लड़के भी घर छोड़ जातें हैं।।
कहतें हैं उनके बिना आगे वंस की पहचान नहीं होती,
साहब, लड़के की जिंदगी भी इतनी आसान नहीं होती।।
छोटी सी उम्र में सीखना पड़ता है उन्हें सब कुछ,
रो नहीं सकते कभी वो खुलकर, ख्वाहिश भी दबानी पड़ती है,
सारी जिम्मेदारी होती है उनके कंधों पर , ना जाने कितनी ठोकर खानी पड़ती है,
खुलकर वो भी किसी को बता नहीं सकते, कहते है उनकी अक्ल नादान नहीं होती,
साहब लड़के की जिंदगी भी इतनी आसान नहीं होती।।
बढ़ती उम्र के साथ वो अपने सपने खो रहा है,
किसी ने नहीं पूछा कि वो कोनसे सपने बो रहा है,
जिम्मेदारियों के बोझ में ये क्या कुछ नहीं खोते
कहते है अक्सर सब कि,
मजबूत होते है ये लड़के कभी नहीं रोते।।
अपनी ख्वाहिश त्याग कर अपनी इच्छाओं से मुंह मोड़ जाते है,
बेफिक्र सोने वाले अब कहां सो पातें हैं,
मां के हाथ की ताजा रोटियां खाने वाले,
वो टाइम पर खाना भी नहीं खाते हैं,
घर की जीमेदरियो का बोझ होता है उनके सिर पर,
साहब बेटे भी घर छोड़ जातें हैं।।
स्कूल पूरा करते ही वो,
दिन रात मेहनत करता है,
घर की जिम्मेदारी के साथ,
देश सेवा की खातिर मेहनत करता है,
जनुन होता है उनमें कुछ कर जाने का,
वतन की खातिर मर मिट जाने का,
मुद्दतों तक वो घर से बाहर रहता है,
दिल में देश प्रेम और,
कहीं किसी कोने में परिवार होता है,
ना जाने कैसे वो परिवार की दूरियां सहते हैं,
जनाब उन्हें सब पागल फौजी कहते हैं,
देश की खातिर ये अपने प्राण न्योछावर कर जातें हैं,
अरे! साहब लड़के भी घर छोड़ जातें हैं।
लड़के भी घर छोड़ जातें है।।
#पंकज मेहराना