कोई खाता माता-पिता की सौगंध, कोई खाता बाल-बच्चों की सौगंध। कोई खाता ईश्वर-अल्लाह की सौगंध, कोई खाता गीता-कुरान की सौगंध॥ कोई खाता गंगा-अबे जम की सौगंध, सौगंध  खाकर बन  जाते  हैं  संबंध। कोई सच बोलता है ,तो  कोई झूठ, किसी का जीवन बचा  लेती सौगंध॥ लो  अब  भारत  माता  की […]

चमकते हैं सितारे देख हर रोज। नहीं आती बहारें,देख हर रोज॥ बेईमानी बेईमानी…..मिले मात्र। इमां नर ना सुधारे,देख हर रोज॥ बूढ़ी माँ को अकेला छोड़ जाओ न। जिए किसके सहारे,देख हर  रोज॥ नसीहतें दे नहीं अब आदमी सोच। दिलों में ना उतारें,देख  हर  रोज॥ कहीं सूखा कहीं अतिवृष्टि,की है फ़ौज। […]

-अकाल सूखता जिस्म, धरती की दरारें हत चेतन। झुलसी दूब, पानी को निहारते सूखे नयन। ठूंठ से वृक्ष, झरते हैं परिंदे पत्तों के जैसे। गिद्ध की आंखें, जमीन पर बिछीं वीभत्स लाशें। -बाढ़ एक सैलाब, बहाकर ले गया सारे सपने। उफनी नदी, डूबते उतराते सारे कचरे। मन की बाढ़, शरीर […]

नेता संसद में पड़े,सदा उड़ाते मौज। सीमा पर यारों सुनो,सैनिक मरते रोज॥ भारत माँ के लाड़ले,सच्चे सैनिक वीर। दुश्मन का देते सदा,यार कलेजा चीर॥ फ़ौजी रक्षक देश के,इनसे अपनी शान। निर्भय  होकर जंग में,देते अपनी जान॥ सैनिक भारत देश के,सच में बड़े महान। अपने दिल से कीजिए,सब इनका सम्मान॥ जिनकी […]

कविता का पहले  हुआ,जन्म,सुनो श्रीमान। तब  संस्कृत  में  हैं  बने,मात्रा, छंद, विधान॥ मात्रा, छंद, विधान,बात भाषा की आई। संस्कृत सबकी मात,रीत हिन्दी अपनाई॥ सुनो सखा ‘उत्कर्ष’,काव्य पथ की यह भविता। हिन्दी कहती आप,बाद प्रगटी तब कविता॥                             […]

पक्षियों की चहचहाहट से, एक एहसास रोज होता है मुझे, सुबह उठते ही घर की मुंडेर पर कुछ दाना-पानी रखने का। होता है यह एहसास, इसलिए भी कि- भोर होते ही पक्षियों का कलरव मुझे चेता जाता है अपने नन्हें बच्चों के साथ चिंच्याते,गुटर-गुं करते। मेरे ये मित्र, आते ही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।