बड़ी ही शिद्दत से मेरी कलम ने मन से रिश्ता निभाया है। हर एक दर्द मन का कलम से उतर कर पन्नो आया है ।। जीवन के अलग अलग रंगों का पन्नो पर इंद्रधनुष बनाया है। ये कलम का कमाल है कि आसमाँ पन्नो पर उतर आया है।। जो भूली […]

मातृदिवस के शुभ अवसर पर, बोल उठी बिटिया रानी। हे माते! तुम बेटी बन जा और बनूँ मैं मातु सयानी।। तुम जाकर बाहर खेलो माँ, जैसे रोज खेलती मैं। बापू से पहले आ जाना, रोटी आज बेलती मैं।। सही तरह से बेटी बनना, नाक हमारी कटे नहीं। सभी बड़ों की […]

गानों  की कल्पना,राग,संगीत के साथ गायन  की मधुरता  कानो  में मिश्री घोलती  साथ ही साथ मन को प्रभावित भी करती है | गानों का इतिहास भी काफी पुराना है | रागों के जरिए दीप का जलना, मेघ का बरसना आदि किवदंतियां प्रचलित रही है ,वही गीतों  की राग ,संगीत  जरिए  घराने भी […]

 *तुमने तो दीवार उठा दी आंगन में, इसमें खिड़की-दरवाजा दोनों लाओं- अंसारी* इंदौर | साहित्यिक संस्था ‘क्षितिज’ एवं ‘मातृभाषा उन्नयन संस्थान’, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में एक रचना पाठ संगोष्ठी का आयोजन डी क्यू कैफे पर किया गया जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ कवि चरण सिंह अमी के द्वारा की गई। इस […]

मै तो लब्ज हूँ असर छोड जाऊँगा चंद लम्हों में वक्त के सिलवटों पर नाम लिख जाऊँगा। उलझना है उलझ जाओ सही रास्तो में मैं ही नजर आऊँगा मैं तो लब्ज हूँ। बात खुद्दारी की है जो मुझमें ही जिन्दा है इंसा नहीं हम जो देखते ही बदल जाऊँगा मैं […]

क्यूँ आज मानव बारूद की बन गया है भयानक ढेरी कर्त्तव्य भूल कर। है आज सबसे भयानक सारे विश्व में चर्चा का विषय आतंक की बीमारी। क्या तुम्हें पता है प्रदूषण पैदा करता असंख्य बीमारी मानव जीवन मेंहाँ। सद विचार इंसान को मंजिल पर पहुँचा देता है अपनाकर देखो। #अशोक […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।