बापू थारा देश मा,काइ-काइ रगड़ा होवे रे। कोई जीमे दूध राबड़ी,कोई भूखा भटके रे॥ लालू बोले अरे मोदीड़ा भैंस पटकनी दे दी रे। मोदी थारा राज मा घणा गीदारु बोले रे॥ जाके लागी नोट की ठोकर वाका जिवड़ा डोले रे। पांव तले अंगार जले ने,दूजा ने चोर बतावे रे॥ बिल्ली […]
काव्यभाषा
काव्यभाषा
कौम-वाद,जाति-वाद, सम्प्रदाय-वाद,आरक्षण। जनता का यूँ, कर भक्षण, और कितनी,रोटी सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ ये असुरक्षित,वो गद्दार, कोई न वतन का,पहरेदार। आग लगाकर,अमन-चमन में, हाथ भला,कब तक सेकोगे? सुन-सुन कान,पके हैं सबके, बोलो कब तक,यूँ फेंकोगे॥ भले देश,नष्ट हो जाए, बस गद्दी इन्हें,मिल जाए। लोगों की […]