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लाल – लाल सुराही
दो मुहँ की सुराही ।
तप -तपकर बनती
प्यारी-न्यारी सुराही ।।
शीतल गुणभरी सुराही
रखें पानी ठंडा सुराही ।
ठंडा पानी पीकर करें
प्रशंसा इसकी हर राही ।।
गर्मी का फ्रीज सुराही
घर-घर की शान सुराही ।
जल ही जीवन,अमृत है
जन-जन को कहें सुराही ।।
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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