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तेरी रुस्वाइयां जितनी
उनका ख़ाका बना लो तुम
कहीं कुछ छूट न जाये
लफ्ज़ हर दोहरा लो तुम।
तेरी रुस्वाइयां जितनी
उनका ख़ाका बना लो तुम।
लिखो कागज कलम लेकर
मोहर उसपर लगाता हूँ
रूह तक होगी सुनवाई
गिले-शिकवे मिटाता हूँ
कहीं कुछ छूट न जाये
लफ्ज़ हर दोहरा लो तुम।
तेरी रुस्वाइयां जितनी
उनका ख़ाका बना लो तुम।
चढ़ेगा रंग चाहत का
आज फुरसत में बैठा हूँ
फिरूँगा न ज़ुबान से मैं
कहो तुम मैं भी वैसा हूँ
कहीं कुछ छूट न जाये
लफ्ज़ हर दोहरा लो तुम।
तेरी रुस्वाइयां जितनी
उनका ख़ाका बना लो तुम।
#श्रवण राज ‘लयरिसिस्ट राज’
परिचय :
नाम-श्रवण राज
उपनाम-लयरिसिस्ट राज
वर्तमान-शाहजहांपुर
राज्य-उत्तर-प्रदेश
शहर-शाहजहांपुर
शिक्षा-ग्रेजुएशन
कार्यक्षेत्र-गीतकार
विधा- कम्पोजिंग
प्रकाशन-कुछ प्रिंट मीडिया (2010-2011)
सम्मान- कोई नही।
ब्लॉग-कोई नही।
अन्य उपलब्धियां-फ़िल्म प्रोडक्शन वर्किंग मुंबई और निरंतर अपडेट सांग फेसबुक सोशल नेटवर्क।
लेखन का उद्देश्य- स्वतंत्र रहना।
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Tue May 22 , 2018
दुश्मन आँख दिखाया है, सरहद तक चढ आया है , कितनी जाने गयी आज तक कितना लहू बहाया है । हम पूछते देश चलाने वालों राजनीति इतनी प्यारी क्यों है । अबतक चुप्पी धारी क्यों है । वार नहीं करना है तुमको फिर तलवार निकाली क्यों है । वीर नहीं […]