भगवान  महावीर की वाणी की सत्यता ।

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sanjay

कितना कुछ इस पंचम काल या कलयुग में होगा या जो हो रहा है , इसे हमारे भगवान की वाणी मे कहा गया कि पंचम काल या कलयुग मे मनुष्य का विवेक खत्म हो जाएगा। वह पशु जैसी सोच रखेगा। यह बात सचसाबित हो गई है और हम सब जैन इस को साबित कर रहे है। रातो मे 50 वर्ष की महिलाये किटी मेम्बर बन कर होटल मे खाना खा रही है। नान वेज होटल है पता करने की कोशिश ही नही करती। 20 साल से 35 साल की औरते सूट ,पाटी गाउन , जींस पहन कर ससुराल मे एडवांस बन कर घूमती है किसे दिखाना है ? यह सब और क्यो क्या साडी पहनी औरत पढी लिखी नही हो सकती यह एक दिमाग की गंदगी है, और दूसरी महिलाओ को छोटी मानसिकता व उनके परिवार को रूढि वादी बताना। मै उन पति की सोच को भी सलाम करना चाहता हू जो घर की औरतो की नुमाइश लगवाते है। इस का मतलब यह हुआ कि दूसरे की पत्नी भी गलत पहने हुए और वो अच्छी लग रही है। आप कपडे के पहनावे को स्टेटस मान रहे है। धर्म , ज्ञान, और सादगीपूर्ण व्यवहार का कोई महत्व नही। जब माता पिता बच्चो के सामने ऐसा व्यवहार पेश करेंगे ।तो बच्चे लव मैरिज ,इंटर कास्ट मैरिज , और ज्यादा एडवांस लडकियो से शादी करेंगे जो शायद और छोटे कपड़े पहने और आप की बिल्कुल इज्जत न करे। कल आप उसे कुछ न कह पाये। उसको रोकने का हक नही होगा वो उस केलिए एडवांस नेस होगी। ये सब हम लोग विनश्ता की ओर ही चले जा रहे है / कहाँ इसका अंत होगा पता नहीं, सुखी जीवन के लिए धर्म को समझे अपनी फोटो खींच कर सार्वजनिक मत कीजिए आप किसी फेसबुक पर पोस्ट कर के महान नही बन रही है/ आपको कोई सम्मान जनक पुरस्कार नही मिला है
उठते,बैठते,खाते,पीते और नहाते की फोटो शूट कर डाल रहे है इसका मतलब है आपके पास पूरे दिन कोई काम नही है।या आपकी सोच समझ विकसित नही है कि समाज का नाम रोशन करने की जगह लोग यह कहे कि जैनो मे ऐसा होता है। कहा तप,त्याग,संयम कि बात और कहा कुछ अपवाद स्वरूप लोग जैन धर्म को बदनाम करने मे लगे है। अभी भी वक्त है की अपनी सोच और अपने आप को जैन संस्कारो के अनुसार जीने की कोशिस करे / वार्ना तुम्हे तुम्हारी औलाद तुम्हे क्या बोलेगी या क्या कुछ करेगी पता नहीं और हमारे संस्कार और जैन धर्म की संस्कृति भी लुप्त हो जाएगी और इसका दोष हम और आप किसे देंगे ? ये सोचते ही रहेंगे। इसलिए समय को समझते हुए हमें और आपको निश्चित ही अपने परिवारों में और समाज में कुछ कठोर कदम उठाने होंगे , तभी हम अपनी संस्कृति और जैन धर्म को बचा सकते है /

        #संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

Arpan Jain

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