“क्यों समझता मुझे खिलौना”

0 0
Read Time2 Minute, 9 Second

sushama malik
क्यों समझता मुझे खिलौना, आखिर मैं भी तो हूं इंसान ।
देखकर तेरी तानाशाही, बहुत ज्यादा हूं मैं हैरान।।
पुरुषवाद का घमंड तुझे, तुझ पर अंधा नशा ये छाया है,
बनाकर पिंजरे की चिड़िया मुझे, क्या बता तूने पाया है।
गुरुर ने तुझमे पैर पसारे, बेईमानी का तुझ पर साया है।
अपनी उंगली पर नचाये, तूने ये कैसा हक जताया है।
फूलकर तू कुप्पा हो गया, भरा है तुझमे बहुत गुमान।
क्यों समझता मुझे खिलौना, आखिर मैं भी तो हूँ इंसान।।
हमसाया बनकर तेरे साथ खड़ी, पर तुझे नजर ना आये।
थोड़ी हँसती देख मुझे, तू अंदर तक तिलमिला जाये।
“मलिक” खड़ी ये बाट जोहे, वो खुशनुमा पल कब आये।
मेरा वजूद स्वीकारे तू तुझको, बिल्कुल अपने जैसा भाये।
“सुषमा” तुझे हर बार बताये, तू मान मेरी भी है पहचान।
क्यों समझता मुझे खिलौना, आखिर मैं भी तो हूं इंसान।।

          #सुषमा मलिक
परिचय : सुषमा मलिक की जन्मतिथि-२३ अक्टूबर १९८१
तथा जन्म स्थान-रोहतक (हरियाणा)है। आपका निवास
रोहतक में ही शास्त्री नगर में है। एम.सी.ए. तक शिक्षित 
सुषमा मलिक अपने कार्यक्षेत्र में विद्यालय में प्रयोगशाला सहायक और एक संस्थान में लेखापाल भी हैं। 
सामाजिक क्षेत्र में कम्प्यूटर प्रयोगशाला संघ की महिला प्रदेशाध्यक्ष हैं। लेखन विधा-कविता,लेख और ग़ज़ल है। 
विविध अखबार और पत्रिकाओ में आपकी लेखनी आती रहती है। उत्तर प्रदेश की साहित्यिक संस्था ने सम्मान दिया है। आपके लेखन का उद्देश्य-अपनी आवाज से जनता को जागरूक करना है। 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

महत्वपूर्ण सूचना

Fri Mar 16 , 2018
महत्वपूर्ण सूचना असंयमितता, अनियमितता और अभ्रद्रता के चलते कुछ लोगों को संस्थान से बाहर कर दिया गया है| मूलत: मातृभाषा.कॉम का मालिकाना हक व संस्थापन डॉ.अर्पण जैन ‘अविचल’ द्वारा किया गया है| मातृभाषा.कॉम सहित हिन्दीग्राम,  व मातृभाषा उन्नयन संस्थान भी उन्हीं के निर्देशन संचालित है | कुछ लोगो द्वारा रचनाकारों […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।