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ये कैसी रंजिशें हैं?
ये कैसी ख्वाहिशें है?
जिधर दृष्टि डालो
उधर ही तो साज़िशें हैं।
इन अजब बन्दिशों
का क्रंदन है जीवन,
अंधेरे-उजाले का
संगम है जीवन।।
यहाँ तो हर शख़्स
ग़मज़दा सा है,
कुछ हारा और कुछ
थका-थका सा है।
इस हार और जीत
के फ़लसफ़े में बस,
माया-मोह का बंधन
अंधेरे-उजाले का
संगम है जीवन।।
कभी तो तिमिर नें
ऐसा घेरा डाला,
उजाले को भी अपना
घर बना डाला,
ऐसे में धैर्य का
अभिनन्दन है जीवन
अंधेरे-उजाले का
संगम है जीवन।।
#सम्पदा मिश्रा
परिचय : सम्पदा मिश्रा की जन्मतिथि-१५ नवम्बर १९८० और जन्म स्थान-महाराष्ट्र है। आप शहर- इलाहाबाद(राज्य-उत्तर प्रदेश) में रहती हैं। एम.ए. एवं बी.एड. तक शिक्षित सम्पदा जी का कार्यक्षेत्र-बतौर प्रवक्ता अर्थशास्त्र(डाईट-इलाहाबाद) है। आपकी विधा-गद्य एवं पद्य है। आप स्वर्ण पदक विजेता हैं और लेखन का शौक है। लेखन का उद्देश्य-समाज को नई दिशा देना है।
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Mon Feb 26 , 2018
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