तोड़ दो हर रस्म और जंजीर को
गम मिले जिससे उस तस्वीर को,
लह़द में ही जायेगे सभी एक दिन
फिर क्यूं तव्ज्जों दे हम वजीर को,
सब पर परेशानी आती है जीवन में
तो क्यूं ना समझें किसी की पीर को,
जिन्दगी जीने के दो तरीके होते है
फिर क्यूं पसंद करे बनना फकीर को,
हर शख्स की अपनी चाहत है कुछ
और ना हो तो छोड़ दे इस शरीर को,
‘ललित’ बड़ी मुश्किलें है रास्तों में
कैसे भी मिट्टी में ना मिलने दे तदबीर को!
परिचय :ललित सिंह रायबरेली (उत्तरप्रदेश) में रहते हैं l आप वर्तमान में बीएससी में पढ़ने के साथ ही लेखन भी कर रहे हैंl आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है l स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी कुछ रचना छपी है l