सपूतों को नमन

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jatin shukl
(कासगंज की घटना पर आधारित)
छोड़ो छोड़ो अब तो छोड़ो,अहिंसा की राहों को,
गद्दारों के हाथ काट दो,या भूलों उन आहों को।
सीमा और घर की वेदी पर,कुर्बां ‘राहुल’  होते हैं,
‘चंदन’ जैसे वीर पुत्र को,रोज-रोज हम खोते हैं।
जो सीने पे गोली मारे,उनको ये ललकार है,
लहराए बस अपना ‘तिरंगा’,मौत हमें स्वीकार है।
सांसें देकर भी फहराया,लाज बचाई गणतंत्र की,
कहां गए वो सारे ढोंगी,जिन्हें फिकर थी लोकतंत्र की।
खामोश हो गए आज विभीषण,लगता मिली दौलत भारी है,
ये बातें है उस मजहब की,रग में जिनके गद्दारी है॥
हम वंशज परशु-राम-कृष्ण के,धर्म मार्ग पे चलते हैं,
रावण जैसे अत्याचारी,यहां हर वर्ष ही जलते हैं।
भूल गए जो इतिहासों को,फिर से याद जरा कर लें,
चलो आज मजहब की खातिर,थोड़ा-थोड़ा हम मर लें।
जो न बोले जय भारत की,उनको मौत सजा होगी,
जो छोड़े पथ मानवता का,उनसे भी न रजा होगी।
जिनको अहिष्णु लगे ये भारत,मुल्क वो मेरा छोड़ दें,
विवश न इतना करो आज ही,कि सहनशीलता तोड़ दें।
जो बनकर अजमल बैठे हैं,उन्हें धिक्कार भारती की,
बने अशफाक,कलाम,औ हमीद जो,उन्हें नमन करे थाल आरती की॥
#जतिन शुक्ल ‘फ़ैज़ाबादी’
परिचय :  जतिन शुक्ल का साहित्यिक उपनाम-कवि जतिन फैजाबादी है। आपकी जन्मतिथि-२६ जनवरी १९९८
एवं जन्म स्थान-फैजाबाद है। में वर्तमान मिल्कीपुर(फैजाबाद-उत्तर प्रदेश) में रहते हैं। इनकी शिक्षा-बीए(जारी)है। आपको  वन्दे मातरम सम्मान प्राप्त हुआ है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक स्तर पर जागृति फैलाना है। 

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।