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जहाँ पर हम होते है, वहां पर आप नहीं होते ,
जहाँ पर आप होते हो, वहां पर हम नहीं होते /
फिर क्यों हर रोज सपने में, तुम मुझे दिखते हो ,
न हम तुमको जानते है, और न ही तुम मुझे को //
ख्बावो का ये सिलसिला , निरंतर चलता जा रहा ,
हकीकत क्या है इसका, नहीं हमको है अंदाजा /
किसी से जिक्र इसका, नहीं कर सकता हूँ मै ,
कही ज़माने के लोग , हमें पागल न समझ ले //
की रब से मै करता हूँ , सदा ही ये प्रार्थना ,
सदा ही खुश रहना तुम, दुआ करता संजय यें /
की तुम जो भी हो, और जहाँ पर हो ,
सदा ही सुखी रहना तुम //
अनजाने में कभी जो, मिल भी गए तुम ,
तो नज़ारे फेरना मत, हमें अनजान समझ कर /
कही रब की ,यही न हो मंजूरी,
की तुम दोनों बने हो, बस एक दूजे के लिए //
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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