हिन्दी ! मेरा संवाद

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nisha mathur
मैं अपने मर्म की बात अपने होंठों से कैसे कहूं ?
हालांकि !, मौन मेरी  भावनाओं की मुखरित भाषा है।
फिर! मेरे शब्दों का शोर और तमाशा क्यूँ न बने,
जब……………।
कभी न थकने और थमने वाली,मेरी हिन्दी भाषा है॥
नवयुग की आवाज़ है हिन्दी,संवाद मेरे हैं  बेहतर,
हिन्दी मेरी पहचान बनाती,मैं शब्दों की बुनकर।
अंतस में मीठे स्वर इसके,गुनगुन करते अक्सर,
कोरे कागज श्रंगार सजाती,मैं नहीं किसी से कमतर।
फिर! मेरे अन्तर्मन के उदगार अंगुलियों से क्यूं न सजे,
जब…………।
कभी न थकने और थमने वाली, मेरी हिन्दी भाषा है॥
अधरों की भाषा है हिन्दी,कोकिल कंठी-सी लयतर,
हिन्दी मेरी दरिया प्रश्न-सी प्रभाव जिसके उत्तरोत्तर।
भाव सिंधु के मीठे झरने-सी,अपने तेज से काटे प्रस्तर,
सांसों को होंठों पे ला के,आंखों से बातें करती अक्सर।
फिर! मेरे तन का लिबास इसके मान से क्यूं न खिले,
जब……………।
कभी न थकने और थमने वाली,मेरी हिन्दी भाषा है॥
मनुहार की अभिलाषा है हिन्दी,एक दुआ से भी बढ़कर,
हिन्दी मेरी वो सूखी रोटी,छप्पन भोगों से भी श्रेष्ठतर।
बचपन की तुतलाती बोली-सी,खुशियां शब्दों-शब्दों पर
तुलसी,कबीर,मीरा की वाणी,कवि सूर के सागर की गागर।
फिर! मेरी माथे की बिदिया-सी,वंदनीय क्यूं न खिले,
जब……………।
कभी न थकने और थमने वाली, मेरी हिन्दी भाषा है॥

#डॉ.निशा माथुर

परिचय : डॉ.निशा माथुर का जन्म  ६ अप्रैल १९७३ और निवास जयपुर (राजस्थान) में पावर हाउस रोड(रेलवे स्टेशन) पर हैl आपकी शिक्षा-एम.ए.(लोक प्रशासन),व्यापार प्रशासन सहित डी.लिट् हैl ६ अप्रैल को जन्मी निशा माथुर की रुचि- कविता लेखन के साथ ही गायन,नृत्य एवं चित्रकला में भी हैl सभी क्षेत्रों में आपने पुरस्कार प्राप्त किए हैंl कार्य क्षेत्र में आप स्वयं की संस्था की निदेशक हैंl साहित्यिक यात्रा देखें तो साझा कविता संग्रह-भारत की प्रतिभाशाली कवियित्रियां,प्रेम काव्य सागर और पुष्पगंधा है और एकल काव्य संग्रह-`सफर अभी लंबा है`l 
देशभर के समाचार पत्र-पत्रिकाओं में काव्य-लेख प्रकाशित हो चुके हैंl पोर्टल पर कविताओं का प्रकाशन सतत जारी हैl इसी तरह आकाशवाणी-जयपुर और अजमेर से कविताओं का निरंतर प्रसारण तथा जयपुर दूरदर्शन (डीडी राजस्थान) आदि से भी कविताएं प्रसारित हुई हैंl विभिन्न काव्य मंचों पर आप काव्य पाठ कर चुकी हैंl खुद का बनाया हुआ वीडियो एलबम तथा सबसे बड़ी उपलब्धि २०१३-१४ में विदेश मंत्रालय के जारी दिल्ली से अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले में जर्मनी में जाने का अवसर हैl निशा माथुर अब तक फ्रॅंकफर्ट,हॅनोवर(जर्मनी) और मास्को रशिया की यात्रा कर चुकी हैंl दिसम्बर २०१६ में डीडी राजस्थान के `धरती धोरा री` कार्यक्रम में व्यक्तिगत साक्षात्कार प्रसारित किया गया हैl आपको मिले सम्मान में जयपुर के बिरला सभागृह में रवीन्द्र मंच से सांस्कृतिक गतिविधियों में पुरस्कार,२०१५ में साहित्य सृजन सम्मान, 
हिंदी भाषा प्रचार-प्रसार समिति (भोपाल) से २०१६ में `नारी गौरव सम्मान`,`प्रेम सागर सम्मान`,माँ प्रतियोगिता में कविता के लिए प्रथम स्थान और अखिल भारतीय मुशायरा और कवि सम्मेलन( झालावाड़) में `शाने अदब खिताब` शामिल हैl विशेष रूप से काव्य संगोष्ठी के अंतर्गत `श्रृंगार गीत` प्रतियोगिता में अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध वरिष्ठ शायर पद्मश्री डॉ.गुलज़ार देहलवी से उत्कृष्ट काव्य पाठ के लिए प्रशस्ति-पत्र और उत्तरप्रदेश से मानद उपाधि के तौर पर साहित्य का वाचस्पति सम्मान (ड़ी.लिट् उपाधि) मिलना हैl आप करीब १० साहित्यिक संस्थाओं से सम्बद्ध होकर सक्रियता से लेखन में लगी हुई हैंl

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