तंत्र में झांकिए

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rajnish dube
(इंदौर की दर्दनाक दुर्घटना पर अश्रुपूर्ण श्रद्धाजंलि)
आँधी छलती है रोज़ हवा को,
मृत्यु छल करती है जीवन से…
हमने भी छल किया है खुद से,
आज दूर किया जो मासूमों को…
ढोंग पीटती ये सब विरह वेदना,
छिप जाती है अव्यवस्थाओं में…
अजगर की भांति वन में रेंगना,
तंत्र के ढांढस मिथ्याओं से…
भीड़ की भांति घर से निकलते,
हो जाते, बच्चे शामिल अपने…
इन घोर तूफानों से दौड़ लगाते,
इक दिन थक जाते हैं बच्चे अपने…
बस उस थकान को न पहचानी,
ये आँख हमारी शर्मिंदा है…
बस उन तूफानों में झोंकने वाली,
ये गोद हमारी शर्मिंदा है…
चाहते तो हम क्या कुछ न करते,
इन अंधकार को बदलने में…
लेकिन तू की मैं और मैं की तू में,
दीए बुझा गए अपने घर के…
जागो ज़रा तुम,उठकर बैठो,
विद्या के दर पर जाकर देखो…
हक है हमारा खुलकर बोलो,
अपने बच्चों की किताब खोलो…
तंत्र से अपने कांधे बांधों,
कमी दिखे तो तंत्र में झांको…
बस बुत बनकर न घर पे बैठो,
खुद का जिम्मा खुद भी समझो…
पीढ़ी को अपनी न पैसों से तौलो,
अपने दायित्वों का ताला खोलो…
क्योंकि राह पे कल जो ठोकर थी,
वो बनकर के अब शिला हुए…।
जिन गांवों में शालाएं लगती थी,
वो गांव नहीं,अब जिला हुए॥
          #रजनीश दुबे’धरतीपुत्र'
परिचय : रजनीश दुबे’धरतीपुत्र' की जन्म तिथि १९ नवम्बर १९९० हैl आपका नौकरी का कार्यस्थल बुधनी स्थित श्री औरोबिन्दो पब्लिक स्कूल इकाई वर्धमान टैक्सटाइल हैl  ज्वलंत मुद्दों पर काव्य एवं कथा लेखन में आप कि रुचि है,इसलिए स्वभाव क्रांतिकारी हैl मध्यप्रदेश के  के नर्मदापुरम् संभाग के  होशंगाबाद जिले के सरस्वती नगर रसूलिया में रहने वाले श्री दुबे का  यही उद्देश्य है कि,जब तक जीवन है,तब तक अखंड भारत देश की स्थापना हेतु सक्रिय रहकर लोगों का योगदान और बढ़ाया जाए l  

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।