
नजरो का मेल
रंग ला रहा है।
मन की बाते भी
दिलको भा रही है।
इसलिए आजकल दिल
व्याकुल होने लगा हैं।।
चेहरे का आकर्षण
जुबा का बंद रहना।
कुछ तो हम से
कह रहा है।
हा ले दिल का राज
दिल को बता रहा है।
और मोहब्बत का
इजहार कर रहा है।।
लगी है आग दिल में
दोनों ही तरफ।
जिसे बुझाने का
प्रयास चल रहा है।
और दिल में बसने का
बहुत मन कर रहा है।
और प्यार की कश्ती में
बैठने का मन हो गया है।।
रोग नया हो या पुराना
पर इलाज जरूरी है।
दिल बनाया है तो
ये धड़केगा भी जरूर।
और मोहब्बत के लिए
एक दिन पिघलेगा भी।
हो सकता है कि वो ही
तुम्हारे ख्व़ाबों का….।।
जय जिनेंद्र देव
संजय जैन (मुंबई)