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(बाल दिवस विशेष)
याद आ गया मेरा प्यारा-सा बचपन,
जिस गांव घर-गली ने सवांरा था बचपन।
चार पहिए की गाड़ी अब मेरे पास है पर,
एक पहिए की गाड़ी ने निखारा था बचपन।
वो खुशी मुम्बई शहर में न हमको मिली,
जिन खुशियों से मैंने गुजारा था बचपन।
कंचे,गुल्ली-डंडा,एक पहिए के खेल में,
जीत के भी चार पहियों से हारा था बचपन।
अब न वो रौनक चेहरे पे किसी के,
जिन रौनक से वो दुलारा था बचपन।
बचपन की यादें बहुत हमको सताती हैं,
‘बाल दिवस’ पर आज पुकारा था बचपन।
बाल दिवस पर छुट्टी,लिखने का मौका दिया,
धन्यवाद चाचा नेहरु,ऐसा हमारा था बचपन।
#आनंद पाण्डेय ‘केवल’
परिचय : आनंद पाण्डेय ‘केवल’ की उम्र 45 वर्ष है और आप सेवनिवृत्त शिक्षक (मुंबई) हैं। मुंबई में निवास है,पर पैतृक निवास उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में है। आप कार्यक्षेत्र के रुप में मुंबई में कम्पनी में कार्यकारी संचालक के तौर पर सक्रिय हैं। लेखन में रुचि है और पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती हैं। मात्र एक वर्ष का लेखन अनुभव है और भावों की तुकबंदी पर अधिक लिखते हैं। तबला वादन में स्नातक होने के साथ ही कुछ अन्य उपलब्धियां भी पाई हैं। कवि मित्रों की रचनाएँ पढ़ने का चिंतन तथा मनन करना आपको अच्छा लगता है।
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