गुजरात चुनाव:युवराज के नेतृत्व में कांग्रेस का दीपोत्सव

0 0
Read Time13 Minute, 15 Second

arpan jain
दीपावली के दीपों की रोशनी ने इस बार दस जनपथ की बाँछें खिला-सी दी हैं,एक ओर गुजरात में चुनावी सरगर्मियां तेज़ हो चुकी हैं,भाजपा जहां अपना गढ़ बचाने की पूरी कोशिश में जुटी है तो दूसरी तरफ़ देश में लगातार सिमटती चली जा रही कांग्रेस भी राहुल गाँधी के नेतृत्व में जी-तोड़ मेहनत कर रही हैl
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने भी भाजपा को घेरने की कवायद शुरू कर दी है,पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार गुजरात का दौरा करके कांग्रेस की उम्मीदें जगा रहे हैंl कांग्रेस की पूरी कोशिश भाजपा के खिलाफ चले आंदोलन और उसके चेहरे को अपने पाले में करके ओबीसी,दलित और पाटीदार मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की हैl हार्दिक पटेल को कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का आमंत्रण भेजा है,गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सोलंकी ने राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश मेवाणी और ओबीसी समाज के नेता अल्पेश ठाकुर का भी पार्टी में स्वागत किया है, इससे कांग्रेस अपनी रणनीति में कुछ सफल हो रही हैl कांग्रेस ने एनसीपी से गठबंधन के भी संकेत दिए हैंl इसके अलावा,गुजरात के अकेले जेडीयू विधायक छोटू वासवा को भी कांग्रेस साथ लाने की कोशिश में हैl
लगातार राहुल गाँधी का गुजरात दौरा और इन्हीं सभाओं और दौरों के बीच गांधी परिवार के इस `युवराज` का राजनीतिक प्रपंच कांग्रेस में उम्मीद की लहर का संचार कर चुका हैंl इस बार के गुजरात चुनाव को सबसे ज़्यादा रोचक बना रही है युवा तिकड़ी,जिसमें शामिल हैं पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवाणी और ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोरl इस बीच शनिवार को हुई एक चुनावी उठापटक में ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की,इस मुलाकात के बाद उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने का एलान कर दियाl गर्त में जा रही कांग्रेस के हाथ को गुजरात में मजबूत करने में अल्पेश ठाकोर महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैंl
ओबीसी नेता के तौर पर उभरे अल्पेश ठाकुर पाटीदारों को आरक्षण देने का विरोध करते रहे हैं, साथ ही वह देसी शराब से होने वाले नुक़सान के चलते शराबबंदी के पक्षधर भी रहे हैंl
इधर ओबीसी,एससी और एसटी एकता मंच के संयोजक अल्पेश ठाकुर ने अलग-अलग मंचों से गुजरात की हालत ख़राब होने का कहा भी है और वह कहते हैं कि विकास सिर्फ दिखावा है,गुजरात में लाखों लोगों के पास रोज़गार नहीं हैl
चूँकि,गुजरात के वोट बैंक में ओबीसी का वोट ४० प्रतिशत है जो पाटीदार और एससी-एसटी से कहीं ज्यादा है,ऐसे में अल्पेश का `युवराज` के नेतृत्व में कांग्रेस के साथ जाना भाजपा के लिए ख़ासी मुसीबत का कारण हो सकता हैl पहले अल्पेश का भाजपा की तरफ झुकाव का अंदेशा था,क्योंकि पाटीदारों को आरक्षण देने के मसले पर भाजपा और उनकी राय एक थी,परंतु अल्पेश ने रुख़ स्पष्ट कर सारे कयासों को विराम तो लगा ही दिया हैl
इस बार के चुनाव में गुजरात में दलित नेतृत्व जिग्नेश मेवाणी भी कोई कमतर नहीं हैl राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिग्नेश मेवाणी गुजरात में दलितों पर हो रहे हमलों के लिए गुजरात सरकार को ज़िम्मेदार मानते हैंl लगातार दलितों पर हुए हमलों के बाद भाजपा की छवि पर इसका असर पड़ना स्वाभाविक भी हैl इसी दलित विरोध से गुजरात में युवा दलित नेता के तौर पर उभरे जिग्नेश पेशे से वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैंl ऊना में गोरक्षा के नाम पर दलितों की पिटाई के ख़िलाफ़ हुए आंदोलन का जिग्नेश ने नेतृत्व किया थाl पहले भी गांधी नगर ज़िले के कलोल के लिंबोदरा गांव में मूंछ रखने पर १७ और २४ साल के दो युवकों के साथ मारपीट हुई थी,उन्हें मूंछ न रखने की धमकी दी गई थीl दशहरे के दिन अहमदाबाद में ३०० दलित परिवारों ने बौद्ध धर्म भी स्वीकार कर लिया थाl इस घटना को लेकर सत्ताधारी दल यानी भाजपा निशाने पर हैl
‘आज़ादी कूच आंदोलन’ में जिग्नेश ने २० हज़ार दलितों को एक साथ मरे जानवर न उठाने और मैला न ढोने की शपथ दिलाई थीl इस आंदोलन में दलित मुस्लिम एकता भी दिखाई दी थीl गुजरात में दलितों का वोट क़रीब ७ प्रतिशत है,तथा राज्य की कुल आबादी लगभग ६.३८ करोड़ है,जिनमें दलित ३५.९२ करोड़ के क़रीब हैंl गुजरात में दलितों का प्रतिनिधित्व बहुत ज्यादा न होने के बावजूद भी चुनाव में हर एक वोट बहुत कीमती होता है,ऐसे में भाजपा के लिए जिग्नेश मेवाणी भी मुसीबत ला सकते हैंl
इन दोनों के अतिरिक्त हार्दिक पटेल भी अमित शाह के विजय रथ को रोकने का माद्दा रखते हैंl साल २०१५ में पटेल आरक्षण की मांग के बाद हार्दिक पटेल का नाम तेज़ी से उभरकर सामने आया थाl इस आंदोलन को दबाने की गुजरात सरकार की कोशिशों के बावजूद अभी तक यह मांग शांत नहीं हुई हैl पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल किसी भी पार्टी में न शामिल होने की बात कह चुके हैंl हार्दिक पटेल ने सार्वजनिक तौर पर भाजपा को आरक्षण न देने के लिए दोषी ठहराया हैl अमित शाह को `गुजरात गौरव यात्रा` के दौरान पाटीदार युवाओं का विरोध भी झेलना पड़ा थाl
अल्पेश का कांग्रेस में शामिल होना एक तरफ युवराज और बाकी कांग्रेस के लिए सुखद है,क्योंकि यह लगभग ४० प्रतिशत ओबीसी वोट बैंक में राहुल की पकड़ को मजबूत तो बनाएगा ही परंतु पाटीदार वर्ग को अलग भी कर सकता हैं,क्योंकि जिग्नेश का पाटीदार विरोध हार्दिक को राहुल से दूर भी कर सकता है और राहुल के मंसूबे पर पानी फेरने की शाह की राजनीतिक चाल भी हो सकती है,क्योंकि पाटीदार समाज के दो नेता रेशमा पटेल और वरुण पटेल अहमदाबाद में अमित शाह से मिले हैंl दोनों नेताओं को हार्दिक का करीबी माना जाता हैl इसका मतलब साफ है कि,भाजपा भी हार्दिक पटेल के करीबियों को अपने पाले में लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैl गौरतलब है कि,वर्तमान में गुजरात में भाजपा के पास ४४ पाटीदार विधायक हैं,और १९ साल से भाजपा को सत्ता में बनाए रखने में पाटीदारों की अहम भूमिका हैl गुजरात की जनता भी इस बार परिवर्तन चाहती है, इन हालातों में राहुल गांधी का गुजरात जाना उन गुजरातियों को उम्मीद जगा रहा है,जो `मोटा भाई` और मोदी की व्यापारी विरोधी नीतियों से त्रस्त हैंl इनका वोट तो ज़रूर विपक्षी पार्टियों को ही अर्पण होगाl
भारतीय जनता पार्टी के पास न विजय रूपाणी दमदार साबित हुए,न ही आनंदी बेन पटेलl ऐसे में भाजपा के लिए मुश्किलें कम नहीं हो रही,और भाजपा की यही मुश्किलें कांग्रेस के लिए उम्मीद का आक्सीजन हैl
कांग्रेस के पास अमित शाह के बेटे जय शाह पर समाचार वेबसाइट द्वारा लगाए आरोप भी एक करारा हमला साबित हो सकता हैl वैसे कांग्रेस का मास्टर स्ट्रोक राहुल गाँधी ही हैं,साथ ही टीम राहुल की गुजरात में सक्रियता कांग्रेस को उभारकर पुन: अपने पुराने तेवर में लौटा सकती हैं,और यह देश के लिए आवश्यक भी हैl
युवराज का लगातार गुजरात दौरा,गुजरात में मध्यप्रदेश के इंदौरी कांग्रेस नेता जीतू पटवारी का बने रहना और उसके पहले भाजपा के असर के बाद भी कांग्रेस के अहमद पटेल का राज्यसभा चुनाव जीत जाने जैसे सारे समीकरण कांग्रेस के पक्ष में होने का दंभ तो भर ही रहे हैं,परंतु इसके साथ ही केन्द्र में भी कांग्रेस को महत्वपूर्ण विपक्ष की भूमिका का निर्वहन करना चाहिएl विपक्ष का काम अविश्वास प्रस्ताव,काम रोको प्रस्ताव,निंदा प्रस्ताव तक ही सीमित नहीं होता,बल्कि सरकार की ग़लतियों का तार्किक और संवैधानिक विरोध दर्शाना तथा सरकार को सही मार्ग दिखना भी होता हैl इस पर कांग्रेस कमजोर साबित हुई है,परंतु राहुल गांधी की वापसी शायद गुजरात में कुछ नया कर दिखाएगीl

परिचय : अर्पण जैन ‘अविचल’ खबर हलचल न्यूज के संपादक है और पत्रकार होने के साथ साथ , शायर और स्तंभकार भी हैं| भारतीय पत्रकारीता पर शोध कर रहे हैं जैन ने ‘आंचलिक पत्रकारों पर एक पुस्तक भी लिखी हैं | अविचल ने अपने कविताओं के माध्यम से समाज में स्त्री की पीड़ा, परिवेश का साहस और व्यवस्थाओं के खिलाफ तंज़ को बखूबी उकेरा हैं और आलेखों में ज़्यादातर पत्रकारिता के आधार आंचलिक पत्रकारिता को ज़्यादा लिखा हैं | मध्यप्रदेश के धार जिले की कुक्षी तहसील में पले-बड़े और इंदौर को अपना कर्म क्षेत्र बनाया | बेचलर आफ इंजीनियरिंग (कंप्यूटर साइंस) से करने के बाद एमबीए और एम जे की डिग्री हासिल की | कई पत्रकार संगठनों के राष्ट्रीय स्तर की ज़िम्मेदारियों से नवाज़े जा चुके अर्पण जैन ‘अविचल’ भारत के २१ राज्यों में अपनी टीम का संचालन कर रहे हैं | भारत का पहला पत्रकारों के लिए बनाया गया सोशल नेटवर्क और पत्रकारिता का विकीपेडीया www.IndianReporters.com” भी जैन द्वारा ही संचालित किया जा रहा है|

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

अफगानी और हिंदी

Fri Oct 27 , 2017
अमरीका में रहने वाले अफगानियों की सबसे बड़ी जनसंख्या हमारे फ्रीमोंट शहर में है। जब मैं कहीं आने-जाने के लिए टैक्सी बुलवाता हूं तो कई बार अफगान चालकों से मुलाकात हो जाती है। आज भी ऐसा ही हुआ। मुझे किसी काम से एक सरकारी कार्यालय में जाना पड़ा। कैब में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।