सफर-ए-दास्ताँ

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shivankit tiwari

“सफर” यह एक ऐसा शब्द है जो अपने आप में बहुत विशाल है। सफर एक ऐसी रोमांचकारी धुन है जो इन्सानों में ऐसे सवार रहती है जैसे शरीर में प्राण।

 और यह प्राण प्राणियों को उनके होने और उनके अस्तित्व को जिंदा रखने के लिये बेहद आवश्यक है।

जिंदगी में सदैव बस ‘सफर’ ही रहता है या ‘सफर’ में जिंदगी।
जन्म से लेकर मृत्यु तक का सफर, बचपन से लेकर जवानी तक का सफर फिर जवानी से लेकर बुढ़ापे तक बस ‘सफर’ ही करना पड़ता है। ये जीवन पूरा सफरमयी जीवन है और हम ‘सफर’ में ही है।
जब बचपन में होते है तो बस एक ही बात सोचते है कि ‘कब बड़े होगे’ और यकीनन यहीं से शुरु होता है बचपन से जवानी तक का ‘सफर’ जब हम अपने से बड़े को कुछ अपना पसंदीदा कार्य करते देखते है मुहँ से अनायास बस एक ही शब्द निकलता है “काश” हम भी बड़े होते तो हम भी यहीं करते, हम ‘कब बड़े होगे’ यह शब्द दोहराते-दोहराते हम कब बड़े भी हो जाते है पता ही नहीं चलता क्योंकि हम ‘सफर’ में थे।
जैसे ही बड़े होते है कंधों पर जिम्मेदारियों के बोझे लाद दिये जाते है और पता ही नहीं चलता कब उम्र के आखिरी पड़ाव पर आ गये।
क्योंकि एक अच्छी जिंदगी के लिये हम पढ़ाई करते है फिर पढ़ाई के पश्चात अपने लक्ष्य तक का ‘सफर’ तय करते है फिर पारिवारिक जीवन में प्रवेश कर उलझते चले जाते है जीवन की गाड़ी कब बचपन को पार कर जवानी और फिर बुढ़ापे के स्टेशन पर लाकर खड़ी कर देती है जरा भी पता नहीं चल पाता क्योंकि हम तो ‘सफर’ में ही रहते है।
जिंदगी का सफर बिल्कुल ट्रेन के सफर की तरह ही है जैसे हम सिर्फ टिकट लेकर चढ़ते है और फिर सफर कर अपनी मंजिल में उतर जाते है वैसे ही जिंदगी के सफर में भी मंजिल की तलाश में सिर्फ हम जीवन भर सफर ही करते रह जाते है।
बस यहीं है ‘जीवन-ए-सफर’ की दास्ताँ की बस ‘सफर’ में ही हूँ मैं और समस्त प्राणी जगत ।
जीवन का ‘सफर’ बस ‘सफर’ से ही शुरू होकर ‘सफर’ में ही समाप्त हो जाता हैं।
#शिवांकित तिवारी ‘शिवा’
परिचय-शिवांकित तिवारी का उपनाम ‘शिवा’ है। जन्म तारीख १ जनवरी १९९९ और जन्म स्थान-ग्राम-बिधुई खुर्द (जिला-सतना,म.प्र.)है। वर्तमान में जबलपुर (मध्यप्रदेश)में बसेरा है। मध्यप्रदेश के श्री तिवारी ने कक्षा १२वीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है,और जबलपुर से आयुर्वेद चिकित्सक की पढ़ाई जारी है। विद्यार्थी के रुप में कार्यरत होकर सामाजिक गतिविधि के निमित्त कुछ मित्रों के साथ संस्था शुरू की है,जो गरीब बच्चों की पढ़ाई,प्रबंधन,असहायों को रोजगार के अवसर,गरीब बहनों के विवाह में सहयोग, बुजुर्गों को आश्रय स्थान एवं रखरखाव की जिम्मेदारी आदि कार्य में सक्रिय हैं। आपकी लेखन विधा मूलतः काव्य तथा लेख है,जबकि ग़ज़ल लेखन पर प्रयासरत हैं। भाषा ज्ञान हिन्दी का है,और यही इनका सर्वस्व है। प्रकाशन के अंतर्गत किताब का कार्य जारी है। शौकिया लेखक होकर हिन्दी से प्यार निभाने वाले शिवा की रचनाओं को कई क्षेत्रीय पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पत्रिकाओं में भी स्थान मिला है। इनको प्राप्त सम्मान में-‘हिन्दी का भक्त’ सर्वोच्च सम्मान एवं ‘हिन्दुस्तान महान है’ प्रथम सम्मान प्रमुख है। यह ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनकी विशेष उपलब्धि-भारत भूमि में पैदा होकर माँ हिन्दी का आश्रय पाना ही है। शिवांकित तिवारी की लेखनी का उद्देश्य-बस हिन्दी को वैश्विक स्तर पर सर्वश्रेष्ठता की श्रेणी में पहला स्थान दिलाना एवं माँ हिन्दी को ही आराध्यता के साथ व्यक्त कराना है। इनके लिए प्रेरणा पुंज-माँ हिन्दी,माँ शारदे,और बड़े भाई पं. अभिलाष तिवारी है। इनकी विशेषज्ञता-प्रेरणास्पद वक्ता,युवा कवि,सूत्रधार और हास्य अभिनय में है। बात की जाए रुचि की तो,कविता,लेख,पत्र-पत्रिकाएँ पढ़ना, प्रेरणादायी व्याख्यान देना,कवि सम्मेलन में शामिल करना,और आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति पर ध्यान देना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।